रायपुर। विष्णु देव साय सरकार का बीते दो साल का कार्यकाल जल संसाधन विभाग के लिए उपलब्धियों से भरा रहा. इस अवधि में जहां सिंचाई क्षमता में 25,000 हेक्टेयर की वृद्धि के साथ कुल सिंचाई क्षमता 21.76 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है. यही नहीं 14 नई बड़ी सिंचाई परियोजनाओं को सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान की गई है, जिससे 1 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त क्षमता में वृद्धि होगी. इस तरह से 2047 तक जल भंडारण क्षमता 7,900 MCM से बढ़ाकर 16,000 MCM करने का लक्ष्य रखा गया है.
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जल संसाधन विभाग के दो साल की उपलब्धियों की सचिव राजेश सुकुमार टोप्पो ने जानकारी दी. उन्होंने बताया कि विभाग का मूल दायित्व केवल प्रदेश में सिंचाई क्षमता का विकास करना ही नहीं, बल्कि बहुमूल्य जल संसाधनों का संरक्षण, संवर्धन एवं नवीन योजनाओं का सर्वेक्षण, निर्माण एवं निर्मित संसाधनों का रख-रखाव करना भी है. इसके साथ बाढ़ नियंत्रण की योजनाएं बनाना एवं जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न परिस्थितियों का आकलन कर जल संवर्धन योजनाएं प्रस्तावित करना भी शामिल है.
दो साल की बड़ी उपलब्धियां
सिंचाई क्षमता में वृद्धि: छत्तीसगढ़ जल संसाधन विभाग ने पिछले दो वर्षों में सिंचाई क्षमता में 25,000 हेक्टेयर की वृद्धि हासिल की है, जिससे कुल विकसित सिंचाई क्षमता 21,76,000 हेक्टेयर हो गई है.
जल संचयन और संरक्षण: जल शक्ति अभियान “कैच द रेन” के तहत केंद्र शासन द्वारा जल संचय जन भागीदारी पुरस्कार शुरू किए गए हैं, जो समुदाय संचालित जल संरक्षण प्रयासों को सम्मानित करते हैं.
जल संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने पर छठे राष्ट्रीय जल संचय जन भागीदारी श्रेणी में छत्तीसगढ़ को उत्कृष्ट राज्य शासन द्वितीय पुरस्कार प्राप्त हुआ है. वहीं नगरीय निकाय श्रेणी में रायपुर नगर निगम को प्रथम स्थान मिला. इसके अलावा पूर्व जोन के जिलों में विभिन्न श्रेणियों में बालोद, राजनांदगांव, रायपुर, महासमुंद, बलौदाबाजार, गरियाबंद, बिलासपुर एवं रायगढ़ को भी जल संचय जन भागीदारी अवार्ड से सम्मानित किया गया.
प्रतियोगिताएं: जल संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए जल संरक्षण 2.0 पर सफलता की महाती जैसी प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं.
पिछले दो वर्षों में जल संसाधन विभाग की उपलब्धियों में सिंचाई क्षमता में 25,000 हेक्टेयर की वृद्धि और राष्ट्रीय स्तर पर जल संरक्षण के लिए विभिन्न अभियान और पुरस्कार शामिल हैं. ये उपलब्धियां जल संरक्षण, संचयन और बेहतर जल प्रबंधन के प्रति सरकार के प्रयासों को दर्शाती हैं.

अन्य महत्वपूर्ण उपलब्धियां
राज्य में 73,601 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधाओं के विस्तार/पुनर्स्थापन हेतु 477 योजनाओं के लिए ₹1874.87 करोड़ की प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की गई. विशेष केंद्रीय सहायता के तहत राज्य गठन (2000) के बाद प्रथम बार विगत वर्ष ₹896 करोड़ की केंद्रीय सहायता प्राप्त कर कार्य कराया गया. आवर्धन जल प्रदाय योजना/जल जीवन मिशन/अमृत मिशन के अंतर्गत 18 औद्योगिक संस्थानों को 12.80 मिलियन घन मीटर एवं पेयजल हेतु 43.30 मिलियन घन मीटर वार्षिक जल आवंटित किया गया.
यही नहीं वर्ष 2024–25 में खरीफ एवं रबी सिंचाई हेतु 16,53,933 हेक्टेयर लक्ष्य के विरुद्ध 14,52,477 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की गई, जो लक्ष्य का 87.82% है. वित्तीय वर्ष 2024–25 में सिंचाई योजनाओं हेतु अधिग्रहित भूमि के वर्षों से लंबित मुआवजा भुगतान के लिए ₹400 करोड़ से अधिक तथा वन भूमि मुआवजा भुगतान हेतु ₹100 करोड़ से अधिक राशि का भुगतान किया गया, जिससे वन प्रभावित सिंचाई योजनाओं के निर्माण में गति आई है.
बस्तर अंचल में सिंचाई संसाधनों के विकास हेतु जगदलपुर में मुख्य अभियंता कार्यालय के लिए 36 पदों की स्वीकृति प्राप्त कर माननीय मुख्यमंत्री द्वारा 15.04.2025 को कार्यालय का शुभारंभ किया गया. विभाग में 83 सहायक अभियंताओं की नियुक्ति की गई. इसके अलावा बांध सुरक्षा पुनर्वास परियोजना (DRIP-3) के अंतर्गत 3 वर्षों से लंबित 9 बांधों के सुदृढ़ीकरण हेतु ₹536 करोड़ के कार्यों की सहमति प्रदान की गई.
कुनकुरी में जल संसाधन विभाग के नए अनुविभागीय कार्यालय (विद्युत/यांत्रिकी) की स्थापना की गई, जिससे लघु सिंचाई योजनाओं के संचालन एवं संधारण में सुविधा होगी. जशपुर जिले में आदिवासी बहुल क्षेत्र में सिंचाई संसाधनों को गति देने हेतु 22.10.2024 को कुनकुरी में पृथक कार्यपालन अभियंता कार्यालय प्रारंभ किया गया. विभाग के अंतर्गत वर्षों से लंबित 115 सिंचाई योजनाओं (76,094 हेक्टेयर क्षमता) को अटल सिंचाई योजना के अंतर्गत चरणबद्ध रूप से पूर्ण किया जा रहा है.
मयाली बांध (जशपुर) में 22.10.2024 को पर्यटन एवं नौकायन सुविधाओं का लोकार्पण किया गया. गंगरेल बांध (धमतरी) में 05–06 अक्टूबर 2024 को “जल जागर महोत्सव” का आयोजन किया गया. जिला बेमेतरा को जल निकायों के पुनरोद्धार श्रेणी में जल परिवर्तनशीलता वैश्विक पुरस्कार 2024 प्राप्त हुआ. उदयपुर (राजस्थान) में आयोजित द्वितीय अखिल भारतीय राज्य जल मंत्री सम्मेलन 2025 में छत्तीसगढ़ के जनभागीदारी आधारित जल संचयन प्रयासों की सराहना हुई.
आगामी 3 वर्षों की संभावित कार्य योजना
आने वाले समय में राज्य की बढ़ती पेयजल एवं सिंचाई आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए नई परियोजनाओं का सर्वेक्षण, रूपांकन एवं क्रियान्वयन किया जा रहा है. व्यर्थ बह जाने वाले वर्षा जल का उपयोग जल-अभाव वाले क्षेत्रों में करने तथा नदियों को जोड़ने की योजनाएं प्रस्तावित हैं.
वर्तमान सरकार के कार्यकाल में परियोजना मंडल की 33वीं बैठक में 14 नई बड़ी सिंचाई परियोजनाओं को सैद्धांतिक स्वीकृति दी गई है, जिनसे प्रदेश में लगभग 1,00,000 हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचाई क्षमता विकसित होगी.
प्रस्तावित 14 परियोजनाएं
| बस्तर – देऊरगांव बैराज सह उठाव सिंचाई परियोजना | दुर्ग – सहगांव उठाव सिंचाई परियोजना |
| बस्तर – मटनार बैराज सह उठाव सिंचाई परियोजना | खैरागढ़–छुईखदान–गंडई – लमती फीडर जलाशय |
| रायपुर – महानदी पर मोहमला–सिरपुर बैराज | राजनांदगांव – चैकी एनीकट से मोहारा एनीकट पाइपलाइन |
| रायपुर – समोदा बैराज से कुंभारिया जलाशय तक पाइपलाइन | जशपुर – मनी नदी पर बगिया बैराज |
| बिलासपुर – अहरन से गाजरी नाला जल संवर्धन कार्य | जांजगीर–चांपा – परसाही उठाव सिंचाई परियोजना |
| बिलासपुर – छपराटोला फीडर जलाशय | कोरबा – मड़वारानी बैराज |
| बिलासपुर – खारंग जलाशय दायां तट नहर आवर्धन | गरियाबंद – सिकासार से कोडार जलाशय लिंक नहर |
इसके अतिरिक्त बोधघाट बहुद्देशीय परियोजना एवं कोवई–हसदेव नदी लिंक परियोजना का सर्वेक्षण कार्य प्रगति पर है.
नई नीतियां:
| गाद प्रबंधन (Sediment Management) | बांध परिसर में पर्यटन | जल विजन दस्तावेज 2047 |
वर्तमान जल भंडारण क्षमता 7,900 MCM है, जिसे वर्ष 2047 तक 16,000 MCM करने का लक्ष्य है तथा भूजल संकटग्रस्त विकासखंडों की संख्या शून्य करने का भी लक्ष्य है.
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