चेतन योगी, देवास। आमतौर पर घोड़े शादी बारात का ही हिस्सा माने जाते और दूल्हे की बारात सजती है और घोड़े बारात की शोभा बढ़ाते नजर आते है। अब देश विदेश में इन घोड़ों की बारात की रौनक बढ़ाने के साथ साथ विभिन्न प्रतियोगिताओं भी आयोजित होती है। ताजा उदाहरण महाराष्ट्र के सारंगखेड़ा में देखने को मिला। जहां हर साल दिसंबर में चेतक फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है। इस प्रतिगोयिता में मध्य प्रदेश के देवास का दबंग नामक घोड़ा अपनी सुंदरता के चलते पहला स्थान हासिल किया है। इस मेले में देशभर के करीब 4000 घोड़े पहुंचे थे।
चेतक फेस्टिवल का 450 साल पुराना इतिहास
महाराष्ट्र के सारंगखेड़ा में चेतक फेस्टिवल बहुत ही प्रसिद्ध मेला है, जिसका इतिहास 450 साल पुराना है। जहां हर नस्ल के देसी, विदेशी घोड़े उनके मालिकों के साथ आते है। हर राज्य के उम्दा नस्ल के घोड़े बिक्री और शो समेत प्रतियोगिता में अन्य कैटेगरी में शामिल होने के लिए पहुंचे हैं। इस साल भी लगभग 4000 घोड़े इस मेले में पहुंचे थे।

‘दबंग’ ने सुंदरता में रचा इतिहास, कीमत एक करोड़ रुपये
हर बार इस चेतक फेस्टिवल में राजस्थान और पंजाब के घोड़े ही पुरस्कार प्राप्त करते थे, लेकिन इस बार मध्य प्रदेश के 1 करोड़ कीमत के दबंग नामक घोड़े ने सुंदरता के चलते प्रथम पुरस्कार प्राप्त कर इतिहास रच दिया। यह ‘दबंग’ नामक घोड़ा देवास के ठाकुर प्रदीप सिंह बोरखेड़ा का है। जो बहुत ही उम्दा नस्ल का है। इसने सारंगखेड़ा चेतक फेस्टिवल में प्रथम पुरस्कार हासिल कर मध्य प्रदेश और देवास का नाम रोशन किया। ठाकुर प्रदीप के पास सभी नस्ल के 20 से ज्यादा घोड़े है। वहीं दबंग घोड़े की खातिरदारी में 6 कर्मचारियों की ड्यूटी रहती है।
हर महीने घोड़ों पर खर्च करते है एक लाख रुपये
देश मे प्राचीन काल से पालतू मवेशियों का पालन पोषण किया जाता आ रहा है। युद्ध से लेकर आम लोग घोड़ों को पाले है। इन घोड़ों की विभिन्न प्रतियोगिता भी आयोजित की जाती थी और वर्तमान में भी पालतू मवेशियों को लोग आज भी हजारों और लाखों रुपये खर्च करते है। देवास के बोरखेड़ा दरबार की ओर से 20 घोड़ों का पालन पोषण अपने फार्म हाउस पर करते नजर आ रहे है। हर महीने इन घोड़ों पर करीब 1 लाख रुपये खर्च करते है, जिसमें उनकी डाइट, हॉर्स ट्रेनर, डॉक्टर समेत अन्य खर्च आता है, जो वह स्वयं वहन करते है।

घोड़ो को पालने के शौकीन लोग आज भी है जो अच्छी-अच्छी नस्लों के घोड़ों को खरीदते है और उन पर हर महीने हजारों, लाखों रुपये खर्च करते है। आपको बता दें घोड़ों के लिए विशेष रूप से अस्तबल बनाए जाते है, जिसमें सभी तरह की सुविधाएं रहती है, जैसे ट्रेनर, डॉक्टर, केयर टेकर, स्टोरेज और अन्य शामिल होती है। एक अस्तबल की लागत लाखों रुपये आती है, उसके बाद अन्य खर्च भी प्रति महीने आता है।
हॉर्स ट्रेनर ने कही ये बात
शहर के जाने माने हॉर्स ट्रेनर शत्रुंजय सिंह ने बताया कि उनका एक स्टड फर्म है, जो बोरखेड़ा स्टेबल्स एंड सफारिस के नाम से देवास शहर में स्थित है। उन्होंने कहा कि घोड़े का शौक उनके खून में है, यह विरासत में मिला है, जो पीढ़ियों से चला आ रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि उनके घरों के बच्चे चलना बाद में पहले घोड़े पर बैठना सीखते है। शत्रुंजय के पास वर्तमान में 15 मारवाड़ी नस्ल वह नूकरे घोड़े और घोड़िया है, जिनकी कद काठी, सुंदरता और आंतरिक बल उम्दा है। मारवाड़ी घोड़े को योद्ध का अश्व भी कहा जाता है, जिनके साहस और स्वामी भक्ति के अनेक किस्से है।
ये है घोड़ों का आहार
उन्होंने बताया कि जहां तक इन अश्व की बात है तो इन्हें 30-40 किलोमीटर की घुड़सवारी में इस्तेमाल करते है। इनके आहार की बात करे तो इन्हें विशेष आहार के रूप में अनाज जैसी मक्का, बाजरा, जौ आदि दिया जाता है। हरी घास और मसूर का भूसा दिया जाता है। नर घोड़ों को इसके साथ 3-4 लीटर दूध भी दिया जाता है। इसके साथ ही 5-6 व्यक्तियों का स्टाफ रोज घोड़ों की साफ सफाई, मालिश, सवारने का काम करता है।
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