रोहित कश्यप, मुंगेली। जल संरक्षण को लेकर सरकारें मंचों से भले ही बड़े-बड़े दावे और योजनाएं गिनाती हों, लेकिन ज़मीनी हकीकत इन दावों की पोल खोलती नजर आ रही है। मुंगेली में भूमाफियाओं ने तालाबों को निशाना बनाकर अवैध प्लॉटिंग का खेल शुरू कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के स्पष्ट दिशा-निर्देश हैं कि किसी भी प्राकृतिक जलस्रोत, विशेषकर तालाबों के स्वरूप से छेड़छाड़ करना गंभीर अपराध है। हाल में कुछ माह पूर्व शासन स्तर पर भी यह साफ निर्देश जारी किए जा चुके हैं कि अवैध प्लॉटिंग करने वालों और अवैध कॉलोनी बसाने वालों के ऊपर एफआईआर दर्ज किया जाए। इसके बावजूद मुंगेली नगर पालिका क्षेत्र में इन आदेशों को खुलेआम नजरअंदाज किया जा रहा है।

प्लॉट में तब्दील हो रहे तालाब

शहर के कई पुराने तालाब आज अपने अस्तित्व की आखिरी सांसें गिन रहे हैं। भूमाफियाओं द्वारा तालाब को पाटकर उन्हें प्लॉट में तब्दील किया जा रहा है। इसका सीधा असर न सिर्फ क्षेत्र के भूजल स्तर पर पड़ा है, बल्कि जलीय जीव-जंतुओं का जीवन भी संकट में आ गया है।

ताजा उदाहरण नगरपालिका क्षेत्र के पंडित दीनदयाल वार्ड में स्थित एक निजी तालाब है। यहां तालाब को पूरी तरह पाटकर प्लॉटिंग कर दी गई, जिससे तालाब का मूल स्वरूप पूरी तरह खत्म हो चुका है। हैरानी की बात यह है कि इस अवैध गतिविधि के दौरान न तो समय रहते रोक लगाई गई और न ही अब तक किसी तरह की ठोस कार्रवाई सामने आई है।

आदेशों के बावजूद कार्रवाई नदारद

अदालतों और शासन के सख्त निर्देशों के बावजूद न तो संबंधित लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई और न ही अन्य कोई ठोस कार्रवाई की जानकारी सामने आई है। यह स्थिति नगरीय प्रशासन की कार्यप्रणाली और भूमाफियाओं को मिल रहे कथित संरक्षण पर गंभीर सवाल खड़े करती है।

सीएमओ ने लिया संज्ञान, लेकिन सवाल बरकरार

मामले को लेकर नगरपालिका सीएमओ होरी सिंह ने संज्ञान में लेने की बात कही है और आवश्यक कार्रवाई का भरोसा दिलाया है। हालांकि, ज़मीनी सच्चाई यह है कि तालाब का स्वरूप पहले ही बदल चुका है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब नुकसान हो चुका है, तब संज्ञान और जांच की प्रक्रिया कितनी प्रभावी साबित होगी।

भविष्य में जल संकट का खतरा

गौरतलब है कि अगर इसी तरह तालाबों को खत्म किया जाता रहा, तो आने वाले समय में मुंगेली में जल संकट और गहरा सकता है। तालाब केवल जलसंग्रह का साधन नहीं हैं, बल्कि पर्यावरण संतुलन का भी अहम हिस्सा हैं। अब देखना यह होगा कि शासन और प्रशासन अपने ही जारी किए गए निर्देशों पर कितना सख्त रुख अपनाते हैं और क्या वाकई भूमाफियाओं पर कार्रवाई होती है या फिर तालाबों का यह वजूद यूं ही कागजों में सिमट कर रह जाएगा।

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