Modi Government Changed 28 Government Schemes Name: नए ग्रामीण रोजगार बिल विकसित भारत-जी राम जी (ग्रामीण रोजगार और आजीविका मिशन) संशोधन विधेयक (Viksit Bharat-G RAM G (Gramin Rozgar and Ajeevika Mission) Amendment Bill) लोकसभा में पास हो गया है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) बिल यानी VBG Ram G पर लोकसभा में जवाब दिया। इस दौरान विपक्ष की तरफ से भी जमकर हंगामा और नारेबाजी की। विपक्षी सांसदों ने बिल को फाड़ के संसद में ही फेंक दिया। हालांकि इसके बावजूद लोकसभा में VB-जी राम जी बिल पारित हो गया।
हालांकि यह कोई पहली बार नहीं है, जब मोदी सरकार ने योजना की नाम बदला है। नाम बदलने की लिस्ट में MGNREGA से NBA योजना तक शामिल है। जी हां…मनरेगा का नाम बदलने से पहले मोदी सरकार अपने 11 साल के शासनकाल में 27 योजनाओं को नाम बदल चुकी। अब इस लिस्ट में 28वां स्थान मनरेगा का हो गया है। इस तरह 2014 में सत्ता से आने के बाद से अबतक मोदी सरकार 11 सालों में 28 योजनाओं को नाम बदल चुकी की है।
सबसे पहले मनरेगा की बात
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, जिसे आमतौर पर मनरेगा कहा जाता है। इसकी शुरुआत साल 2005 में UPA सरकार के दौरान हुई थी। यह योजना ग्रामीण परिवारों को हर साल 100 दिनों के रोजगार की कानूनी गारंटी देती है। अब मोदी सरकार ने इसे नए कानून ‘विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन’ यानी VBG RAM G के रूप में पेश किया है। सरकार का दावा है कि इस नए कानून के तहत ग्रामीण परिवारों को 125 दिनों तक काम की गारंटी मिलेगी और फोकस सिर्फ मजदूरी तक सीमित न होकर ग्रामीण अधोसंरचना, जल सुरक्षा और आजीविका और जलवायु अनुकूल विकास पर होगा। विपक्ष इसे मनरेगा की आत्मा से छेड़छाड़ बता रहा है, जबकि सरकार इसे ‘विकसित भारत 2047’ के विजन से जोड़ रही है।
इंदिरा आवास योजना से प्रधानमंत्री आवास योजना तक
गरीबों को पक्का घर देने के उद्देश्य से 1985 में शुरू हुई इंदिरा आवास योजना UPA शासनकाल में एक प्रमुख सामाजिक योजना रही। साल 2016 में मोदी सरकार ने इसका नाम बदलकर प्रधानमंत्री आवास योजना कर दिया. ग्रामीण क्षेत्रों के लिए PMAY-G और शहरी इलाकों के लिए PMAY-Urban के रूप में इसे दो हिस्सों में लागू किया गया। सरकार का कहना है कि ‘हाउसिंग फॉर ऑल’ के लक्ष्य के तहत इस योजना के वित्तीय और तकनीकी ढांचे में बड़े बदलाव किए गए। इसलिए नया नाम जरूरी था।
जेएनएनयूआरएम से अमृत मिशन
शहरों के बुनियादी ढांचे को सुधारने के लिए 2005 में शुरू हुआ जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन, UPA सरकार की एक अहम योजना थी। 2015 में इसका नाम बदलकर अटल मिशन फॉर रीजुवेनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन यानी AMRUT कर दिया गया। सरकार के मुताबिक, शहरी विकास के नए लक्ष्यों और प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए यह बदलाव किया।
निर्मल भारत अभियान से स्वच्छ भारत मिशन
ग्रामीण स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए UPA सरकार ने निर्मल ग्राम पुरस्कार और निर्मल भारत अभियान की शुरुआत की थी। 2014 में मोदी सरकार ने इसे स्वच्छ भारत मिशन के रूप में नया नाम और नई पहचान दी। इस मिशन में गांवों के साथ-साथ शहरों को भी शामिल किया गया और इसे जन आंदोलन का रूप देने की कोशिश की गई।
राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना का बदला नाम
ग्रामीण इलाकों में बिजली पहुंचाने के लिए 2005 में राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना शुरू की गई थी। 2015 में मोदी सरकार ने इसका नाम बदलकर दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना कर दिया था। सरकार का दावा है कि इस योजना के तहत वितरण ढांचे को मजबूत करने और 24×7 बिजली आपूर्ति पर विशेष ध्यान दिया गया था।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का नया नाम
गरीब ग्रामीण महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों के जरिए आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए 2011 में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन शुरू किया गया था। साल 2016 में इसका नाम बदलकर दीनदयाल अंत्योदय योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन कर दिया गया था। सरकार का कहना है कि अंत्योदय के सिद्धांत को केंद्र में रखकर योजना को नया स्वरूप दिया गया।
खाद्य सुरक्षा से गरीब कल्याण तक
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत करीब 81 करोड़ लोगों को सस्ते दाम पर अनाज देने की गारंटी दी गई थी। कोविड-19 महामारी के दौरान मोदी सरकार ने मुफ्त अनाज योजना को ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना’ के नाम से लागू किया और इसे एक अलग पहचान दी।
सड़कों और इमारतों के नाम भी बदले
योजनाओं के अलावा मोदी सरकार और बीजेपी शासित राज्यों ने सड़कों, इमारतों और संस्थानों के नाम भी बदले हैं। राजपथ को कर्तव्य पथ किया। प्रधानमंत्री आवास की रेस कोर्स रोड का नाम लोक कल्याण मार्ग रखा और राजभवनों को लोकभवन कहा जाने लगा। इसके साथ ही IPC और CrPC जैसे औपनिवेशिक कानूनों की जगह भारतीय न्याय संहिता और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता जैसे भारतीय नाम अपनाए गए।
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