कुंदन कुमार/पटना। आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के बाद अब बिहार में भी देश की जानी-मानी ऑटोमोबाइल कंपनी अशोक लीलैंड अपनी निर्माण इकाई स्थापित करने जा रही है। कंपनी द्वारा फैक्ट्री के लिए जगह की तलाश शुरू कर दी गई है। मुजफ्फरपुर, भागलपुर, गया सहित करीब एक दर्जन जिलों में सर्वे का काम चल रहा है।
पहले चरण में इलेक्ट्रिक बसों का निर्माण
प्रस्तावित फैक्ट्री में पहले चरण में इलेक्ट्रॉनिक बसों का निर्माण किया जाएगा। योजना सफल रहने पर आगे चलकर ट्रक और अन्य भारी वाहनों का उत्पादन भी शुरू होगा। यह बिहार की पहली बड़ी वाहन निर्माण फैक्ट्री होगी जिससे राज्य एक नए ऑटोमोबाइल हब के रूप में उभरेगा।
8 हजार लोगों को मिलेगा सीधा रोजगार
इस यूनिट से करीब 8 हजार लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलने की संभावना है। इसके अलावा अप्रत्यक्ष रूप से भी हजारों लोगों को काम मिलेगा। स्थानीय स्तर पर सर्विस सेंटर खुलेंगे जहां वाहनों की मरम्मत और रखरखाव किया जाएगा।
ट्रांसपोर्ट खर्च में होगी बड़ी बचत
फिलहाल बिहार में वाहन नोएडा और फरीदाबाद जैसे शहरों से खरीदे जाते हैं जिससे ग्राहकों को 2 से 5 लाख रुपये तक अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ता है। लगभग 1100 किलोमीटर दूरी के कारण केवल वाहन ढुलाई में ही 70 हजार रुपये से अधिक का खर्च आता है। बिहार में फैक्ट्री लगने से यह खर्च काफी कम हो जाएगा।
पूर्वी भारत के लिए बनेगा बड़ा बाजार
बिहार में यूनिट लगने से झारखंड, पश्चिम बंगाल, असम और पूर्वी उत्तर प्रदेश में वाहनों की सप्लाई आसान होगी। साथ ही नेपाल और भूटान जैसे पड़ोसी देशों में भी वाहनों की आपूर्ति की योजना है। कंपनी और राज्य सरकार के बीच समझौते की प्रक्रिया चल रही है जिससे बिहार के औद्योगिक विकास को नई रफ्तार मिलेगी। उद्योग मंत्री डॉ. दिलीप जायसवाल ने बताया कि बिहार में वाहन निर्माण फैक्ट्री लगाने के लिए समझौता किया जा रहा है। इससे बिहार का तेजी से विकास होगा। स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए क्लिक करें



