रमेश बत्रा, तिल्दा नेवरा। अमेटी यूनिवर्सिटी छत्तीसगढ़ के अमेटी लॉ स्कूल द्वारा आयोजित तीन दिवसीय नेशनल मूट कोर्ट प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. जिसमें देश भर से 30 टीम के 90 प्रतिभागियों ने भाग लिया. प्रतियोगिता के समापन समारोह के अवसर पर मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, पूर्व मुख्य न्यायधीश उपस्थित रहे.
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि कभी भी शिक्षा के मार्ग से विचलित नहीं होना चाहिए. हम केवल बातचीत से कानून नहीं सीख सकते, इसके लिए किताबी ज्ञान की भी आवश्यकता होती है. उन्होंने कहा कि प्रतियोगिता में हार -जीत मायने नहीं रखती, हम अपने ज्ञान और समय को कैसे उपयोग करते हैं यह मायने रखता है.
वहीं विशिष्ट अतिथि न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी, न्यायाधीश उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ ने जीवन में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए पढ़ने की आदत डालने पर जोर दिया. माननीय न्यायमूर्ति संजय अग्रवाल, न्यायाधीश उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ ने कहा, “यदि आप एक वकील बनना चाहते हैं, तो आपको भीड़ में खड़े होने के लिए बहुत कड़ी मेहनत करनी होगी”. न्यायमूर्ति गौतम चौरड़िया ने कानूनी छात्रों के लिए ज्ञान और ज्ञान की शक्ति पर बात की.
अतिथि अधिवक्ता डॉ. फौजिया मिर्जा ने कहा कि इस मूट कोर्ट प्रतियोगिता में हार जीत बहुत महत्वपूर्ण नहीं है, लेकिन भागीदारी और तैयारी बहुत मायने रखती है. अपने संबोधन में प्रो (डॉ) आरके पांडे, कुलपति, अमेटी यूनिवर्सिटी छत्तीसगढ़ ने मूट कोर्ट प्रतियोगिता में देश भर से आये विभिन्न प्रतिभागियों की भागीदारी के दृष्टिकोण पर जोर दिया.
इस मूट कोर्ट प्रतियोगिता में 30 टीम के 90 प्रतिभागियों ने भाग लिया था. जिसमे केएलई सोसाइटी लॉ कॉलेज, बेंगलुरु की शीतल अग्रवाल को बेस्ट रिसर्चर अवार्ड , बेस्ट स्पीकर के लिए रूमेला जैन राजीव गांधी नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, पटियाला को, सर्वश्रेष्ठ स्मृति पुरस्कार क्राइस्ट एकेडमी ऑफ़ लॉ को दिया गया. क्राइस्ट यूनिवर्सिटी बैंगलोर द्वितीय और सेवेटा स्कूल ऑफ़ लॉ, चेन्नई प्रथम विजेता रहे. इस अवसर पर यूनिवर्सिटी के सभी प्राध्यापक, छात्र और कर्मचारी उपस्थित थे.