रवींद्र कुमार भारद्वाज, रायबरेली. भू-माफियाओं पर लगाम कसने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही सख्त मुहिम का असर रायबरेली जिले में कहीं नजर नहीं आ रहा है. यहां के भूमाफिया जिला प्रशासन और रायबरेली विकास प्राधिकरण (आरडीए) के अधिकारियों के साथ सांठ-गांठ करके जहां चाहें, वहां अवैध प्लाटिंग कर रहे हैं. सई नदी के दोनों किनारों पर बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण हो रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी आंखें मूंदे बैठे हैं. स्थानीय लोग सवाल उठा रहे हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ‘बुलडोजर एक्शन’ वाली नीति यहां क्यों नहीं लागू हो रही?

जानकारी के अनुसार, सदर तहसील क्षेत्र के महानंदपुर में निर्माणाधीन कान्हा गौशाला के ठीक बगल में सई नदी के तट पर भारी मात्रा में अवैध प्लाटिंग की गई है. यहां नदी के किनारे से सटे क्षेत्र में प्लाट बेचे जा चुके हैं और उन पर निर्माण कार्य जोर-शोर से चल रहा है. कई प्लाटों पर मकान बनकर तैयार हो चुके हैं, जबकि कुछ पर अभी भी काम जारी है. नियमानुसार, नदी के किनारे एक निश्चित दूरी (आमतौर पर 200 मीटर तक) के अंदर कोई निर्माण नहीं किया जा सकता, क्योंकि इससे बाढ़ का खतरा बढ़ता है और पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है. लेकिन यहां नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं.

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स्थानीय निवासियों ने बताया कि इन अवैध निर्माणों में बिजली के कनेक्शन भी लग चुके हैं. कई जगहों पर बांस-बल्ली के सहारे विद्युत केबल खींचे गए हैं, जो सुरक्षा मानकों का घोर उल्लंघन है. क्या ये कनेक्शन वैध हैं या अवैध? यह जांच का विषय है, लेकिन इतना तय है कि ऐसे असुरक्षित तरीके से बिजली पहुंचाना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है. बिजली विभाग के अधिकारी भी इस पर चुप्पी साधे हुए हैं, जो सवाल खड़े करता है कि क्या भूमाफियाओं की पहुंच वहां तक भी है? इसी तरह, मुंशीगंज क्षेत्र में औघड़ आश्रम के पीछे सई नदी के तट से सटी हुई भूमि पर बड़े पैमाने पर अवैध प्लाटिंग हो रही है. यहां सैकड़ों प्लाट काटे गए हैं और उनकी बिक्री लगातार जारी है. खरीदारों को आकर्षित करने के लिए भूमाफिया नदी के नजदीक होने का फायदा बता रहे हैं, लेकिन वास्तव में यह क्षेत्र बाढ़-प्रवण है और निर्माण के लिए प्रतिबंधित है.

शहर के इंदिरा उद्यान के पीछे भी महानंदपुर में इसी तरह की गतिविधियां चल रही हैं. आरडीए और जिला प्रशासन के अधिकारी इन सबको जानते हुए भी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे. क्या यह उनकी ‘दरियादिली’ है या फिर भूमाफियाओं से मिलीभगत?प्रदेश सरकार की ओर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बार-बार निर्देश दिए हैं कि भू-माफियाओं पर सख्त कार्रवाई की जाए. अवैध प्लाटिंग, अतिक्रमण और निर्माणों पर बुलडोजर चलाया जाए.

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हाल के महीनों में कई जिलों में ऐसी कार्रवाइयां देखी गई हैं, जहां अवैध संरचनाओं को ध्वस्त किया गया. लेकिन रायबरेली में ऐसा कुछ नहीं हो रहा. स्थानीय लोगों का कहना है कि अधिकारी या तो इन अवैध गतिविधियों को नजरअंदाज कर रहे हैं या फिर उन्हें कोई ‘फायदा’ पहुंच रहा है. जिले में यह मुद्दा अब चर्चा का केंद्र बन चुका है. लोग कह रहे हैं कि अगर मुख्यमंत्री की मंशा को पलीता लगाने वाले अधिकारी बाज नहीं आते, तो ऊपरी स्तर से हस्तक्षेप की जरूरत है.

सई नदी रायबरेली की जीवनरेखा है. इस पर अवैध निर्माण न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं, बल्कि बाढ़ के समय आम लोगों की जान-माल को खतरे में डाल सकते हैं. लोगो का मानना है कि नदी के किनारों पर निर्माण से मिट्टी का कटाव बढ़ता है और जल प्रदूषण की समस्या भी गहराती है. क्या जिला प्रशासन और आरडीए अब भी सोते रहेंगे? या फिर बुलडोजर की गड़गड़ाहट सुनाई देगी? इस संबंध में जब जिला प्रशासन के अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की, तो कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला. आरडीए के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि ‘मामले की जांच चल रही है’, लेकिन यह जांच कब पूरी होगी और कार्रवाई कब होगी, यह सवाल अनुत्तरित रहा. भूमाफियाओं के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे खुले आम प्लाट बेच रहे हैं और निर्माण करवा रहे हैं.