विकास कुमार/सहरसा। एक ओर राज्य सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करने के बड़े-बड़े दावे कर रही है, वहीं दूसरी ओर सहरसा में करोड़ों रुपये की लागत से बने मॉडल सदर अस्पताल की जमीनी हकीकत इन दावों की पोल खोलती नजर आ रही है। हालात ऐसे हैं कि मरीजों को इलाज से पहले बुनियादी सुविधा तक नसीब नहीं हो रही है।
मीडिया के कैमरे में कैद हुई बदहाल तस्वीरें
जब मीडिया की टीम मॉडल सदर अस्पताल पहुंची तो वहां का नज़ारा चौंकाने वाला था। अस्पताल परिसर में मरीजों को स्ट्रेचर की जगह परिजन गोद में उठाकर लाते दिखे। कहीं मरीजों को अस्पताल के बेड पर लिटाकर घसीटते हुए अंदर ले जाया जा रहा था तो कहीं मरीजों के लिए बने स्ट्रेचर पर सामान की ढुलाई होती नजर आई।
मरीजों के परिजनों का दर्द
मरीजों के परिजनों ने बताया कि अस्पताल में स्ट्रेचर उपलब्ध नही था। मजबूरी में वार्ड से बेड बाहर निकालकर मरीज को उस पर लिटाया गया और फिर खींचते हुए अस्पताल के अंदर ले जाया गया। कुछ परिजनों ने कहा कि स्ट्रेचर न मिलने की वजह से उन्हें मरीज को गोद में उठाकर अस्पताल तक लाना पड़ा।
सुविधाओं पर उठते सवाल
सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब करोड़ों रुपये खर्च कर मॉडल सदर अस्पताल बनाया गया है तो मरीजों को समय पर स्ट्रेचर जैसी बुनियादी सुविधा क्यों नही मिल पा रही है। ऐसे में स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर किए जा रहे सरकारी दावे कितने खोखले हैं यह तस्वीरें खुद बयां कर रही हैं।
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