इमरान खान, खंडवा। मध्य प्रदेश के खंडवा मेडिकल कॉलेज सह जिला अस्पताल में एक अनजान बुजुर्ग के लिए पूरा हॉस्पिटल ही परिवार बन गया है। जिंदगी और मौत से जूझ रहे इस बुजुर्ग की अब तक पहचान नहीं हो पाई है और न ही कोई परिजन अस्पताल पहुंचा है। ऐसे में डॉक्टरों से लेकर स्टाफ नर्स और हाउस कीपिंग तक, हर कोई इंसानियत निभा रहा है। आइए जानते है आखिर पूरा मामला क्या है…

दरअसस, 17 दिसंबर को खारकला गांव के पास सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल बुजुर्ग को अस्पताल ले जाया गया था। सिर में गंभीर चोट और ज्यादा खून बहने के चलते उनकी हालत बेहद नाजुक थी। बुजुर्ग बोल पाने की स्थिति में नहीं हैं, उनके पास कोई पहचान पत्र भी नहीं मिला। डॉक्टरों ने प्राथमिक इलाज के बाद उन्हें इंदौर रेफर करने की तैयारी की, लेकिन अटेंडर न होने की वजह से यह संभव नहीं हो पाया।

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इसके बाद अस्पताल के स्टाफ ने ही जिम्मेदारी संभाली। कोई इंजेक्शन और दवा समय पर दिला रहा है तो कोई रात-रातभर उनकी निगरानी कर रहा है। इस मुश्किल वक्त में मेडिकल कॉलेज अस्पताल का हर कर्मचारी बुजुर्ग के लिए परिवार बनकर खड़ा है। इलाज के साथ-साथ इंसानियत की मिसाल पेश करते हुए यह साबित किया गया है कि अस्पताल सिर्फ इलाज का ही नहीं, बल्कि भरोसे और संवेदनाओं का भी स्थान होता है।

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स्टाफ नर्स मार्टिना ने कहा कि परिजन नहीं हैं, तो हम ही उनका परिवार हैं। जब तक हैं, पूरी देखभाल करेंगे। हाउस कीपिंग स्टाफ भी सेवा में जुटा है। उनका कहना है कि यह हमारा फर्ज है, मरीज अनजान हो सकता है, लेकिन इंसान है। हर मरीज हमारे लिए बराबर है, और इस बुजुर्ग को अकेला नहीं छोड़ा जाएगा।

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