लखनऊ. योगी सरकार आयुष चिकित्सा पद्धतियां विश्व पटल पर पहचान दिलाने की दिशा में लगातार काम कर रही है. इसी क्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप आयुष विभाग अब डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने जा रहा है. दरअसल, आयुष विभाग आईआईटी कानपुर के सहयोग से एक अत्याधुनिक आयुष ऐप विकसित करेगा. इससे मरीजों को ऑनलाइन ओपीडी की सुविधा मिलेगी. साथ ही एप पर आयुष विभाग से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारियां भी उपलब्ध कराई जाएंगी. योगी सरकार के इस कदम से न केवल आयुष चिकित्सा पद्धतियां आम जनता तक आसानी से पहुंचेंगी, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता भी आएगी.

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ऐप से लोगों को मिलेगी काफी राहत

आयुष प्रमुख सचिव रंजन कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जन-जन तक आयुष चिकित्सा पद्धतियों को पहुंचाना चाहते हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप आयुष ऐप बनाने के लिए आईआईटी कानपुर से बातचीत चल रही है. उन्होंने बताया कि ऐप लांच होने के बाद मरीजों को अस्पताल और आयुष केंद्रों में ओपीडी पंजीकरण के लिए लंबी लाइनों में खड़े होने की जरूरत नहीं पड़ेगी. मरीज अपने मोबाइल के माध्यम से घर बैठे ही डॉक्टर से मिलने के लिए ऑनलाइन अपॉइंटमेंट ले सकेंगे. इससे समय की बचत होगी और अस्पतालों में भीड़ भी कम होगी. इस सुविधा से विशेषकर बुजुर्गों, महिलाओं और दूर-दराज के इलाकों से आने वाले मरीजों को काफी राहत मिलेगी. ऐप के जरिए मरीजों को आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी जैसी आयुष चिकित्सा पद्धतियों से जुड़ी विस्तृत जानकारी मिलेगी. एप पर विभिन्न बीमारियों के लिए उपलब्ध उपचार, दवाओं की जानकारी, नजदीकी आयुष अस्पताल और डिस्पेंसरी की सूची, डॉक्टरों का विवरण और स्वास्थ्य संबंधी सुझाव भी उपलब्ध कराए जाएंगे. इसके अलावा योगी सरकार द्वारा चलाई जा रही आयुष से जुड़ी योजनाओं और कार्यक्रमों की जानकारी भी ऐप पर मिलेगी.

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भविष्य में टेली परामर्श, ऑनलाइन रिपोर्ट जैसी सुविधाएं भी मिलेंगी

ऐप को इस तरह डिजाइन किया जाएगा कि आम नागरिक आसानी से इस्तेमाल कर सकेगा. ऐप को सुरक्षित, तेज और भरोसेमंद बनाया जाएगा, ताकि मरीजों का डाटा पूरी तरह सुरक्षित रहे. इसमें भविष्य में और भी नई सुविधाएं जोड़ने की योजना है. वहीं, आने वाले समय में एप के माध्यम से टेली-परामर्श, ऑनलाइन रिपोर्ट और डिजिटल स्वास्थ्य रिकॉर्ड जैसी सुविधाएं भी शुरू की जाएंगी. इससे मरीजों को घर बैठे ही विशेषज्ञ डॉक्टरों की सलाह मिल सकेगी. साथ ही आयुष चिकित्सा पद्धतियों पर लोगों का भरोसा और मजबूत होगा.