बुर्का पहनने को लेकर इस्लाम में क्या हैं नियम
उत्तर प्रदेश के शामली में मजहबी सनक ने एक हंसते-खेलते परिवार को कब्रिस्तान में तब्दील कर दिया.
बुर्का न पहनने की मामूली जिद पर एक शख्स ने हैवानियत की हदें पार करते हुए अपनी पत्नी और दो मासूम बेटियों को मौत के घाट उतार दिया.
राज छिपाने के लिए उसने आंगन के टैंक को ही उनकी कब्र बना दी.
आइए जान लेते हैं कि आखिर इस्लाम में बुर्का पहनने को लेकर क्या नियम हैं और वहां इसे कितना जरूरी मानते हैं.
अधिकांश स्कॉलर्स का मानना है कि इस्लाम में 'हिजाब' (सिर और गर्दन ढंकना) अनिवार्य है, लेकिन चेहरा ढंकना (नकाब) वैकल्पिक है.
वहीं, कुछ कट्टरपंथी विचारधाराओं में पूरे शरीर को ढंकने वाले बुर्के को ही सही पहनावा माना जाता है.
दिलचस्प बात यह है कि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में इसके नाम और आकार बदल जाते हैं.
ईरान में इसे 'चाडोर' कहा जाता है, अफगानिस्तान में 'चादरी' और खाड़ी देशों में 'अबाया'.
यह विविधता दिखाती है कि इस्लाम के नियमों को स्थानीय संस्कृतियों ने अपने-अपने तरीके से अपनाया है.