राजधानी दिल्ली में पिछले पांच वर्षों के दौरान नशे के सौदागरों का जाल तेजी से फैला है। स्थिति यह है कि रोजाना औसतन पांच से अधिक मामले दर्ज हो रहे हैं, जबकि छह से ज्यादा तस्करों की गिरफ्तारी की जा रही है। ड्रग्स तस्करों की लगातार बढ़ती सक्रियता जांच एजेंसियों के लिए गंभीर चुनौती बनती जा रही है। जांच एजेंसियों के अनुसार, ड्रग्स तस्करी पर लगाम लगाने के लिए पुलिस ने सख्त कदम उठाए हैं।
इसके तहत दिल्ली में ड्रग्स तस्करी के 64 हॉटस्पॉट इलाकों की पहचान की गई है, जहां निगरानी और कार्रवाई को और तेज किया गया है। इन इलाकों में सख्ती बढ़ने से धरपकड़ की कार्रवाई पहले के मुकाबले काफी तेज हुई है। एजेंसियों के मुताबिक, पिछले एक साल में 50 ड्रग्स तस्करों की नौ करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति सीज की गई है, जबकि अन्य 25 तस्करों की करीब 20 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त करने की प्रक्रिया चल रही है।
हेल्पलाइन नंबर पर मिल रहीं शिकायतें
ड्रग्स तस्करी में शामिल बदमाशों की धर-पकड़ के लिए पुलिस और अन्य एजेंसियों ने आम लोगों से सहयोग की अपील की है। शिकायतकर्ताओं का नाम गोपनीय रखा जाता है और सूचना मिलने पर आरोपी तस्कर को गिरफ्तार किया जाता है। इस दिशा में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने ‘मानस’ नाम का पोर्टल लॉन्च किया है, जिसमें सूचना देने के लिए हेल्पलाइन नंबर 1933 भी उपलब्ध है। इस नंबर पर आम लोग तस्करों के बारे में जानकारी साझा कर सकते हैं। इस पहल के बाद नागरिक ड्रग्स तस्करों के खिलाफ सक्रिय जानकारी मुहैया करा रहे हैं।
कई एजेंसियां जांच में जुटीं
नशीले पदार्थों की तस्करी रोकने के लिए दिल्ली पुलिस के अलावा नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB), ED, देश की नार्को टेरर यूनिट और इंटेलिजेंस एजेंसियां भी सक्रिय हैं। इस प्रक्रिया में एक एजेंसी इंटरनेशनल तस्करी गिरोह के बारे में इंटरपोल के माध्यम से संबंधित देशों की एजेंसियों से जानकारी जुटा रही है। दूसरी एजेंसी उन स्लीपर सेल्स की पहचान कर रही है, जो विदेशी तस्करों से संपर्क में रहते हैं और नशे की खेप भारत में पहुंचाते हैं। तीसरी एजेंसी लेन-देन के नेटवर्क की डिटेल हासिल करने में लगी हुई है। इस तरह, जहां भी ड्रग तस्करी में विदेशी गिरोह की संलिप्तता पाई जाती है, एजेंसियां समन्वय से शिकंजा कसती हैं और आरोपी को गिरफ्तार करती हैं। इसके अलावा, पुलिस आम लोगों से भी सहयोग की अपील कर रही है। सूचना देने वाले का नाम पूरी तरह गोपनीय रखा जाएगा।
इन रास्तों के जरिए पहुंच रहा ड्रग्स
समुद्री रूट: वर्तमान में ईरान से अरब सागर के रास्ते पाकिस्तान और फिर लक्षद्वीप होते हुए नशे की खेप भेजी जा रही है। एक अन्य समुद्री मार्ग के जरिए केरल पहुंचने के बाद कर्नाटक, गोवा और महाराष्ट्र के तटीय इलाकों में तस्करी की जा रही है। इसके अलावा पाकिस्तान और ईरान से सीधे गुजरात तक भी नशीले पदार्थों की सप्लाई की जा रही है। खास बात यह है कि इन रूटों पर विदेशी तस्करों ने अपने नेटवर्क में स्थानीय स्लीपर सेल को शामिल कर लिया है, जो नशीले पदार्थों को विभिन्न स्थानों तक पहुंचाने का काम करते हैं।
जमीनी रूट: जमीनी रास्तों के जरिए म्यांमार से असम होते हुए पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना तक नशीले पदार्थ पहुंचाए जा रहे हैं। वहीं आंध्र प्रदेश से बेंगलुरु और केरल के इडुक्की, मून्नार तथा तमिलनाडु के कम्बम, थेनी और मुंडकयम तस्करी के प्रमुख रूट बने हुए हैं। इन मार्गों पर तस्कर सुरंगों, ड्रोन और कच्चे रास्तों का इस्तेमाल कर रहे हैं। ड्रग्स को खाद्य सामग्री या पशुओं के चारे के बीच छिपाकर लाया जाता है, जिसके बाद अलग-अलग इलाकों में इसकी आपूर्ति की जाती है।
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