दिल्ली में भाजपा की एक पार्षद का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें वह एक विदेशी शख्स को हिंदी सीखने के लिए फटकार लगाते नजर आ रही हैं। यह घटना पटपड़गंज से भाजपा पार्षद रेनू चौधरी(Renu Chaudhary) से जुड़ी है, जिन्होंने वीडियो में व्यक्ति को एक महीने में हिंदी सीखने की मोहलत दी। खबरों के अनुसार, जिस अफ्रीकी नागरिक को पार्षद ने फटकार लगाई, वह एक फुटबॉल कोच है और कई सालों से दिल्ली में रहकर बच्चों को कोचिंग दे रहा है।

पार्षद रेनू चौधरी ने यह वीडियो खुद अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर रील के रूप में साझा किया था। वीडियो में वह विदेशी शख्स से कहती नजर आती हैं, “तुमने हिंदी नहीं सीखी? क्यों नहीं सीखी हिंदी? अगर इसने एक महीने में हिंदी नहीं सीखी तो इससे पार्क छीन लो। हंसने की बात नहीं है, मैं सीरियस बोल रही हूं। इसे 8 महीने हो गए हैं मुझे बताए हुए। अगर एक महीने में हिंदी नहीं सीखी, यहां की मातृभाषा नहीं सीखी। यहां का पैसा खा रहे हो तो मुंह से भी हिंदी बोलना सीखो।” वीडियो में वह आगे कहती हैं कि आसपास की सोसाइटी के लोगों की रिक्वेस्ट पर उन्होंने पहले उसे बच्चों को कोचिंग देने की अनुमति दी थी, लेकिन यदि एक महीने में हिंदी नहीं सीखी गई तो उसे पार्क में कोचिंग की अनुमति नहीं दी जाएगी।

बातचीत के दौरान विदेशी नागरिक ने बताया कि वह पेशे से फुटबॉल कोच है और करीब 12 साल पहले कोचिंग के उद्देश्य से भारत आया था। शुरुआत में वह एक फुटबॉल एकेडमी से जुड़ा रहा और स्थानीय पार्क में बच्चों को प्रशिक्षण देता रहा। भाजपा पार्षद की चेतावनी के बाद कोच ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा, “मैं डर गया हूं। अगर यह सब जारी रहा तो मुझे जल्द वापस जाना पड़ सकता है। मैं हर सीजन में 40 से 45 बच्चों को ट्रेनिंग देता हूं। अब तक सब कुछ ठीक चल रहा था।”

अफ्रीकी नागरिक ने बताया कि कोविड के दौरान उनकी अकैडमी बंद हो गई थी, जिसके बाद उन्होंने खुद ही बच्चों को फुटबॉल की कोचिंग देना शुरू की। उनका कहना है कि अब वह विशेष रूप से गरीब तबके के बच्चों पर ध्यान देते हैं, जिनमें प्रतिभा है लेकिन साधन नहीं। वह उन्हें जर्सी आदि भी मुहैया कराते हैं और प्रतियोगिताओं में भेजते हैं। उन्होंने कहा कि उनसे कोचिंग लेने वाले कई बच्चे अब सेना और पुलिस में सेवा दे रहे हैं। विदेशी नागरिक ने बताया कि उन्हें 13 दिसंबर को चेतावनी दी गई थी। उस दिन वह पार्क में अपने भारतीय दोस्तों के साथ फुटबॉल खेल रहे थे। उन्होंने कहा, “शुरुआत में मैंने इसे मजाक समझा। वह अच्छी महिला प्रतीत होती थी। लेकिन बाद में वह बार-बार दोहराती रही। इस घटना ने मुझे डरा दिया है। यदि ऐसा जारी रहा तो मुझे वापस जाना होगा।”

इस विवाद पर पार्षद रेनू चौधरी ने कहा कि पार्क का व्यावसायिक इस्तेमाल एमसीडी से अनुमति लिए बिना किया जा रहा था। भाजपा की पहली बार की पार्षद ने बताया, “कोचिंग सेशन के लिए कोई निर्धारित समय नहीं है। कई बार हमारे स्टाफ ने कोच से बात करने की कोशिश की, लेकिन भाषा की बाधा की वजह से दिक्कत होती है।” उन्होंने कहा कि स्टाफ की शिकायत के बाद उन्होंने आठ महीने पहले ही कोच को हिंदी सीखने की सलाह दी थी।

पार्षद रेनू चौधरी ने इंस्टाग्राम पर कहा कि स्थानीय निवासियों की लगातार शिकायतों के बाद पार्क का निरीक्षण किया गया। शिकायत यह थी कि पार्क में देर रात तक गतिविधियाँ चलती हैं, साफ-सफाई की स्थिति खराब रहती है और तय समय का पालन नहीं किया जाता। पार्षद ने लिखा, “यह पार्क आसपास की सोसाइटियों के अनुसार रात 8 बजे बंद होना चाहिए, लेकिन निरीक्षण के दौरान पाया गया कि पार्क रात 11 बजे तक खुला रहता है। फुटबॉल सिखाने के नाम पर बाहरी लोग नियमित रूप से एकत्र होते हैं, जिससे रैपर, बोतलें और गंदगी पार्क में फैली रहती हैं। इतने बड़े पार्क की सिर्फ हफ्ते में एक बार सफाई पूरी तरह नाकाफी है, खासकर जब यहां रोज बड़ी संख्या में लोग आते हों।” उन्होंने आगे कहा कि 8 महीने पहले ही संबंधित व्यक्ति को बुलाकर चेतावनी दी गई थी कि पार्क की नियमित सफाई रखी जाए और तय समय पर पार्क बंद किया जाए।

पार्षद रेनू चौधरी ने आगे लिखा, “इसके अलावा यह एक सार्वजनिक और प्रशासनिक चिंता का विषय है कि कोई भी व्यक्ति, यदि पिछले 10 वर्षों से हमारे देश में रहकर काम कर रहा है, तो उसे स्थानीय भाषा (हिंदी) समझने और बोलने का प्रयास अवश्य करना चाहिए। जब हम किसी दूसरे देश में जाते हैं, तो वहां के नियम और भाषा का सम्मान करना हमारी जिम्मेदारी होती है। यही अपेक्षा यहां भी की जाती है।”

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