अजयारविंद नामदेव, शहडोल। मध्य प्रदेश के शहडोल से बेहद चिंताजनक तस्वीरें सामने आई हैं। जहां देश का भविष्य कहे जाने वाले मासूम बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं। जर्जर स्कूल भवन, गिरती छत और खुले आसमान के नीचे चल रही कक्षाएं न सिर्फ सिस्टम की पोल खोल रही हैं, बल्कि प्रशासनिक संवेदनहीनता पर भी बड़ा सवाल खड़ा कर रही हैं। नौनिहाल अगर खुद असुरक्षित हालात में शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हों, तो शिक्षा व्यवस्था की हकीकत अपने आप सामने आ जाती है।
यह तस्वीर शहडोल जिला मुख्यालय के वार्ड क्रमांक 30 स्थित शासकीय प्राथमिक पाठशाला की है। जहां जर्जर भवन और गिरती छत के नीचे पढ़ने के लिए मजबूर बच्चे हर दिन जान जोखिम में डाल रहे हैं। बताया जा रहा है कि स्कूल भवन की हालत लंबे समय से खराब है। जुलाई माह से विद्यालय की छत लगातार झड़ रही है और कई स्थानों पर छत गिर भी चुकी है। बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए कक्षाओं में पढ़ाई कराना संभव नहीं है। जिसके चलते छात्रों को खुले आसमान के नीचे बैठकर पढ़ना पड़ रहा है। बारिश और धूप दोनों ही हालातों में बच्चों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
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एक ही भवन में पढ़ने को मजबूर
स्थिति की गंभीरता इस बात से और बढ़ जाती है कि यह विद्यालय जिला मुख्यालय में स्थित है। जहां कमिश्नर, कलेक्टर, एसडीएम, जिला शिक्षा अधिकारी, डीपीसी और बीआरसी जैसे वरिष्ठ अधिकारियों के कार्यालय और आवास भी मौजूद हैं। इसके बावजूद स्कूल की बदहाल स्थिति पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। जर्जर भवन के चलते प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को पास के माध्यमिक स्कूल भवन में शिफ्ट किया गया है, जहां प्राथमिक और माध्यमिक के कुल 122 छात्र एक ही भवन में पढ़ने को मजबूर हैं।
क्यों नसीब नहीं हो रहा सुरक्षित भवन ?
शिक्षकों की ओर से कई बार संबंधित विभाग और उच्च अधिकारियों को इस समस्या से अवगत कराया गया, लेकिन अब तक न तो भवन की मरम्मत कराई गई और न ही वैकल्पिक सुरक्षित व्यवस्था की गई। सबसे बड़ा सवाल यह है कि करोड़ों रुपये शिक्षा पर खर्च करने के दावों के बीच आखिर बच्चों को सुरक्षित स्कूल भवन क्यों नसीब नहीं हो पा रहा है ?
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सांसद-विधायक सब मिलकर कर सकते हैं कायाकल्प
प्रशासन की यह उदासीनता किसी बड़े हादसे का इंतजार करती नजर आ रही है। अगर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो शिक्षा के नाम पर यह लापरवाही भविष्य के साथ सबसे बड़ा खिलवाड़ साबित हो सकती है। इस मामले शहडोल डीपीसी अमरनाथ सिंह का कहना है कि जिले में ऐसे 82 स्कूल है। जर्जर स्कूलों को दूसरे स्कूलों में शिफ्ट किया गया है। जल्द ही इसका निराकरण किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि दो सांसद तीन विधायक है यदि सब मिलकर 10-10 लाख भी दे दे, तो इन स्कूलों का कायाकल्प हो सकता है।
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