दिल्ली पुलिस(Delhi Police) ने एक अनोखे साइबर फ्रॉड(Cyber Fraud) का पर्दाफाश किया है। पुलिस के मुताबिक, 19 वर्षीय युवक ने तमिल फिल्म(Tamil Movie) से प्रेरणा लेकर ठगी का नया तरीका अपनाया और कई लोगों को चूना लगाया। आरोपी चांदनी चौक की दुकानों पर लगे QR कोड बदल देता था, जिससे ग्राहक जब डिजिटल भुगतान करते, तो रकम दुकानदार के बजाय सीधे आरोपी के बैंक खाते में ट्रांसफर हो जाती थी। इस तरीके से वह लंबे समय तक ठगी करता रहा। शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने जांच शुरू की और तकनीकी साक्ष्यों व लेन-देन के रिकॉर्ड के आधार पर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस अब यह पता लगाने में जुटी है कि इस तरीके से कितने दुकानदारों और ग्राहकों को नुकसान हुआ।
चांदनी चौक बुटीक में हुआ पहला मामला सामने
13 दिसंबर को चांदनी चौक की एक बुटीक में साइबर ठगी का मामला सामने आया। एक ग्राहक ने यहां से 2.5 लाख रुपये का लहंगा खरीदा और UPI के जरिए दो बार भुगतान किया पहली बार 90 हजार रुपये और दूसरी बार 50 हजार रुपये। ग्राहक के मुताबिक, QR कोड स्कैन करने पर ट्रांजेक्शन सफल दिखा और उन्होंने दोनों भुगतानों के स्क्रीनशॉट भी ले लिए। लेकिन जब दुकानदार ने अपना अकाउंट चेक किया तो राशि प्राप्त नहीं हुई।
पैसे न मिलने पर ग्राहक और दुकानदार दोनों हैरान रह गए। इसके बाद ग्राहक ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसकी जांच में सामने आया कि दुकान का QR कोड बदला गया था और भुगतान की रकम किसी अन्य खाते में चली गई। इसी शिकायत से जुड़े सुरागों के आधार पर दिल्ली पुलिस ने बाद में QR कोड बदलकर ठगी करने वाले 19 वर्षीय आरोपी को गिरफ्तार किया।
पुलिस जांच में खुला पूरा खेल
रिपोर्ट के मुताबिक, इस साइबर ठगी मामले में दिल्ली पुलिस ने गहन जांच की। पुलिस टीम ने सबसे पहले दुकान का निरीक्षण किया और बिलिंग सिस्टम व पेमेंट प्रोसेस की पूरी जांच की। इसके साथ ही ग्राहक, दुकान मालिक और स्टाफ के बयान भी दर्ज किए गए। UPI ट्रांजेक्शन की तकनीकी जांच में खुलासा हुआ कि ग्राहक द्वारा किए गए भुगतान किसी अन्य, अनजान बैंक अकाउंट में ट्रांसफर हो गए थे। डिजिटल ट्रेल और बैंक रिकॉर्ड खंगालने पर यह अकाउंट राजस्थान से जुड़ा पाया गया। इसके बाद पुलिस ने इंटर-स्टेट ऑपरेशन चलाया और जयपुर के चाकसू इलाके से 19 वर्षीय आरोपी मनीष वर्मा को गिरफ्तार किया। जांच में सामने आया कि आरोपी ने दुकानों पर लगे QR कोड बदलकर ग्राहकों की रकम अपने अकाउंट में ट्रांसफर करवाई थी। पुलिस अब यह भी पता लगाने में जुटी है कि इस तरह की ठगी के और कितने मामलों में आरोपी शामिल रहा है।
फिल्मी आइडिया से रची असली साजिश
पूछताछ के दौरान मनीष वर्मा ने कबूल किया कि वह दुकानों पर लगे असली QR कोड की तस्वीर को इमेज एडिटिंग ऐप्स से बदल देता था। बाहर से नया QR कोड बिल्कुल असली जैसा दिखता था, लेकिन स्कैन करते ही भुगतान सीधे उसके बैंक अकाउंट में चला जाता था। सबसे चौंकाने वाला खुलासा यह हुआ कि उसे ठगी का यह आइडिया तमिल फिल्म ‘वेट्टैयन’ से मिला था। फिल्म में दिखाए गए एक सीन को उसने वास्तविक जिंदगी में लागू कर दिया।
डीसीपी (नॉर्थ) राजा बंठिया के अनुसार, जांच में आरोपी के बैंक अकाउंट में ठगी से जुड़े पैसे पाए गए हैं। वहीं, उसके मोबाइल फोन से 100 से ज्यादा एडिट किए गए QR कोड, आपसी चैट्स और लेनदेन से जुड़े रिकॉर्ड भी बरामद हुए हैं। पुलिस अब यह पता लगाने में जुटी है कि आरोपी ने कितनी दुकानों और कितने लोगों को अपना शिकार बनाया और क्या इस गिरोह में कोई और भी शामिल है।
जांच जारी, लोगों को सतर्क रहने की सलाह
पुलिस का मानना है कि मनीष वर्मा ने चांदनी चौक के अलावा कई दूसरी दुकानों को भी निशाना बनाया होगा। इसी आशंका के चलते मामले की गहन और तकनीकी जांच की जा रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि ठगी का दायरा कितना बड़ा है और इसमें कोई अन्य व्यक्ति तो शामिल नहीं है। यह मामला डिजिटल पेमेंट करने वालों के लिए एक बड़ी चेतावनी है। QR कोड से भुगतान करते समय यह ज़रूरी है कि भुगतान से पहले मर्चेंट का नाम ध्यान से जांचें, पेमेंट कन्फर्मेशन स्क्रीन को ठीक से देखें, किसी भी असामान्य स्थिति में तुरंत दुकानदार से पुष्टि करें। थोड़ी सी सतर्कता से इस तरह की साइबर ठगी से बचा जा सकता है।
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