हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर की दवा इंडस्ट्री एक बार फिर कठघरे में खड़ी है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) की ताजा रिपोर्ट ने सनसनीखेज खुलासा करते हुए 19 दवाओं को अमानक घोषित किया है। चौंकाने वाली बात यह है कि छिंदवाड़ा में जहरीले कफ सिरप से मौत का मामला सामने आए अभी दो महीने भी पूरे नहीं हुए और 25 मार्च को सुमन की जान जाने के बावजूद लापरवाही का यह खतरनाक सिलसिला लगातार जारी है।
इंदौर की 6 कंपनियों के 14 सैंपल फेल
सीडीएससीओ की रिपोर्ट के मुताबिक इंदौर की 6 दवा कंपनियों के कुल 14 सैंपल फेल पाए गए हैं। इन कंपनियों में मॉडर्न लैबोरेट्रीज, क्यूरेजा हेल्थकेयर, जेस्ट फार्मा, सिपको लिमिटेड, सामकेम और जेनिथ ड्रग्स शामिल हैं। जांच में सामने आया है कि इन कंपनियों की बनाई गई दवाएं गुणवत्ता के निर्धारित मानकों पर खरी नहीं उतरीं।
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इंजेक्शन से लेकर गर्भावस्था की दवाएं तक फेल
फेल हुई दवाओं की सूची बेहद डराने वाली है। इनमें गंभीर बैक्टीरियल इंफेक्शन में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन, डिप्रेशन, माइग्रेन और हाईपरटेंशन की गोलियां, पेट की बीमारियों के लिए दिए जाने वाले ओरल सस्पेंशन, गर्भावस्था के दौरान शिशु के विकास के लिए दी जाने वाली टैबलेट और प्लाज्मा चढ़ाने में उपयोग होने वाला इन्फ्यूजन फ्लूइड तक शामिल हैं। यानी मरीजों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली बुनियादी और जीवनरक्षक दवाएं भी सुरक्षित नहीं रहीं।
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मुनाफे के आगे इंसानी जान बेअसर
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का साफ कहना है कि अमानक दवाएं मरीजों की बीमारी ठीक करने के बजाय उनकी हालत और गंभीर कर सकती हैं। इसके बावजूद दवा कंपनियां मुनाफे की दौड़ में गुणवत्ता से समझौता कर रही हैं। सवाल यह है कि आखिर कब तक मरीजों की जान को दांव पर लगाया जाता रहेगा ? राज्य और केंद्र की टीमों की कार्रवाई, लेकिन सवाल बरकरार मामले के सामने आने के बाद राज्य और केंद्र की टीमें लापरवाही बरतने वाली कंपनियों पर लगातार कार्रवाई कर रही हैं। हालांकि, पहले भी मौतों के बाद जांच और कार्रवाई की बातें सामने आती रही हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर ठोस सुधार अब तक नज़र नहीं आया है। इंदौर की दवा इंडस्ट्री पर लगे इस दाग ने पूरे सिस्टम की निगरानी व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
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