प्रतीक चौहान. अभनपुर/रायपुर. राजधानी रायपुर के प्रशासनिक गलियारे में एक ऐसा मामला सामने आया है जहां शासन-प्रशासन और स्वयं जिला कलेक्टर के आदेश भी बेअसर साबित हो रहे हैं. अभनपुर तहसील में पदस्थ सहायक ग्रेड-3 शिवशंकर वैष्णव पर आरोप है कि उन्होंने स्थानांतरण के महीनों बाद भी अपनी नई पदस्थापना पर ज्वाइनिंग नहीं दी है, बल्कि नियमों को ताक पर रखकर अवैध रूप से निजी कर्मचारियों से सरकारी फाइलों का काम करा रहे हैं. हालांकि उनका दावा है कि एसडीएम ने उक्त ट्रांसफर आदेश कलेक्टर से निवेदन कर रद्द कराया है, लेकिन रद्द आदेश की कॉपी मांगने पर उन्होंने उनके पास न होने की बात कही.
कलेक्टर के आदेश की सरेआम अवहेलना
प्राप्त जानकारी के अनुसार, सहायक ग्रेड-3 शिवशंकर वैष्णव का स्थानांतरण रायपुर कलेक्टर द्वारा दिनांक 30/06/2025 को अभनपुर से तिल्दा तहसील कार्यालय के लिए किया गया था. इस आदेश को मंत्री का भी अनुमोदन प्राप्त था. इसके बावजूद, कर्मचारी ने आज दिनांक तक तिल्दा में उपस्थिति दर्ज नहीं कराई है. नियमानुसार आदेश के पालन न होने पर अनुशासनात्मक कार्यवाही होनी चाहिए थी, लेकिन इसके विपरीत उन्हें ‘पुरस्कार’ स्वरूप उप तहसील खोरपा में वाचक के पद पर नई जिम्मेदारी दे दी गई है.


सरकारी रिकॉर्ड के साथ खिलवाड़: निजी कर्मचारियों का कब्जा
सबसे गंभीर मामला सरकारी गोपनीयता और सुरक्षा से जुड़ा है. उप तहसील कार्यालय में खुलेआम अवैध कर्मचारियों (प्राइवेट लोगों) के माध्यम से सरकारी काम कराया जा रहा है:
लखन बांघे: इस अवैध कर्मचारी को बाकायदा टेबल, कुर्सी, कंप्यूटर और आलमारी आवंटित की गई है. वह सरकारी फाइलों पर कार्यवाही करता है और उन्हें तहसीलदार के समक्ष प्रस्तुत भी करता है.
शिवा साहू: एक अन्य अवैध कर्मचारी, जिसके कंधों पर पूरे तहसील कार्यालय की ‘शील’ (मुहर), डाक और नोटिस तामीली जैसे अत्यंत संवेदनशील कार्यों की जिम्मेदारी है.
नियमों का उल्लंघन
शासन के स्पष्ट आदेश हैं कि किसी भी शासकीय कार्यालय में अवैध या निजी व्यक्ति से सरकारी कार्य कराना अपराध की श्रेणी में आता है और इसके लिए FIR दर्ज करने का प्रावधान है. इसके बावजूद तहसीलदार के सामने ये निजी व्यक्ति सरकारी रिकॉर्ड खंगाल रहे हैं.
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