बस्तर। बस्तर संभाग में इन दिनों कड़ाके की ठंड ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. इस मौसम में अब तक का सबसे कम तापमान दर्ज किया गया है और तापमान में हो रहे अचानक उतार-चढ़ाव का सीधा असर लोगों की सेहत पर पड़ रहा है. ठंड बढ़ते ही सर्दी-खांसी, बुखार, सांस लेने में दिक्कत और फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है.


शहर के सबसे बड़े महारानी अस्पताल में रोजाना 1200 से 1500 मरीज सर्दी, खांसी, वायरल फीवर और सांस संबंधी समस्याओं का इलाज कराने पहुंच रहे हैं. निजी अस्पतालों में भी इसी तरह के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. कुल मिलाकर इस साल की ठंड बस्तरवासियों पर भारी पड़ती नजर आ रही है.

निर्माण कार्यों से बढ़ा धूल का असर
ठंड के साथ-साथ शहर में धूल की समस्या भी गंभीर बनी हुई है. सड़कों पर चल रहे निर्माण कार्य, जर्जर रास्ते और भारी वाहनों की आवाजाही के कारण उड़ती धूल ने वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ा दिया है. इसका सीधा असर लोगों की सांस पर पड़ रहा है. एलर्जी, अस्थमा, खांसी, सांस फूलने और आंखों में जलन जैसी शिकायतें तेजी से बढ़ रही हैं.
ठंड में धूल ज्यादा घातक: विशेषज्ञ
आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. आर. भार्गव के अनुसार, ठंड के मौसम में धूल के कण हवा में अधिक समय तक बने रहते हैं, जिससे उनका असर और घातक हो जाता है. ठंडी हवा वायुमार्ग को संकुचित कर देती है, ऐसे में अस्थमा के मरीजों पर इसका प्रभाव दोगुना हो जाता है. धूल में मौजूद डस्ट माइट्स, पराग कण और अन्य एलर्जेंस सांस की नली में सूजन पैदा करते हैं, जिससे एलर्जिक राइनाइटिस, साइनसाइटिस और अस्थमा अटैक का खतरा बढ़ जाता है. लंबे समय तक धूल के संपर्क में रहने से फेफड़ों को स्थायी नुकसान भी हो सकता है.

महारानी अस्पताल के अधीक्षक डॉ. संजय प्रसाद ने बताया कि ठंड और धूल के कारण खासतौर पर बच्चे, बुजुर्ग और पहले से एलर्जी या अस्थमा से पीड़ित मरीज ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं. कई मामलों में सांस की तकलीफ गंभीर रूप ले रही है.

इन लक्षणों के साथ पहुंच रहे मरीज
अस्पतालों में पहुंच रहे मरीजों में लगातार छींक आना, नाक बहना, खांसी, गले में खराश, छाती में जकड़न, घरघराहट, आंखों में जलन, बच्चों में साइनस संक्रमण और बुजुर्गों में अस्थमा अटैक व सांस फूलने जैसी शिकायतें सामने आ रही हैं.
बचाव के लिए बरतें ये सावधानियां
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि बाहर निकलते समय मास्क का अनिवार्य रूप से उपयोग करें. घर में साफ-सफाई पर ध्यान दें और गीले कपड़े से पोछा लगाएं ताकि धूल न उड़े. सुबह-शाम ठंडी हवा में बाहर निकलने से बचें. अस्थमा के मरीज अपनी इनहेलर और दवाएं नियमित रूप से लें. घर में नमी बनाए रखने के लिए ह्यूमिडिफायर का उपयोग भी लाभदायक हो सकता है.
कुल मिलाकर बस्तर में ठंड और धूल का यह दोहरा असर लोगों की सेहत पर भारी पड़ रहा है. ऐसे में सावधानी, सतर्कता और समय पर इलाज ही इस मौसम में सबसे बड़ा बचाव है.
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें


