हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्य प्रदेश के देवास के ठेकेदार को आत्महत्या के लिए उकसाने के गंभीर मामले में निलंबित आबकारी अधिकारी मंदाकिनी दीक्षित को हाईकोर्ट से भी कोई राहत नहीं मिली है। हाईकोर्ट इंदौर ने निलंबन के खिलाफ दायर उनकी याचिका को चलने योग्य नहीं मानते हुए खारिज कर दिया है।
निलंबन के बाद आबकारी अधिकारी मंदाकिनी दीक्षित ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। याचिका में उन्होंने दावा किया था कि शासन ने उनका पक्ष सुने बिना ही उन्हें निलंबित कर दिया, जो नियमों के खिलाफ है। हालांकि हाईकोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है और निलंबित अधिकारी को अपनी बात राज्यपाल के समक्ष रखनी चाहिए। कोर्ट के इस फैसले के बाद साफ हो गया है कि फिलहाल मंदाकिनी दीक्षित को न्यायिक स्तर पर कोई राहत नहीं मिलेगी। हाईकोर्ट की टिप्पणी को शासन के फैसले के समर्थन के तौर पर देखा जा रहा है।
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गौरतलब है कि यह पूरा मामला एक ठेकेदार की आत्महत्या से जुड़ा है। आरोप है कि आबकारी अधिकारी मंदाकिनी दीक्षित की प्रताड़ना से तंग आकर ठेकेदार ने आत्महत्या जैसा कदम उठाया था। इस मामले ने प्रशासनिक महकमे में भी हलचल मचा दी थी। जिसके बाद शासन ने तत्काल कार्रवाई करते हुए अधिकारी को निलंबित किया था। अब हाईकोर्ट से झटका लगने के बाद यह मामला और गंभीर हो गया है। जांच और आगे की कानूनी प्रक्रिया पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। सवाल यही है कि क्या ठेकेदार की मौत के लिए जिम्मेदार अफसरों पर सख्त कार्रवाई होगी या मामला सिर्फ निलंबन तक ही सीमित रहेगा।
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