आशुतोष तिवारी, जगदलपुर। ओडिशा के कंधमाल जिले में नक्सलियों के खिलाफ एक बड़े ऑपरेशन में जवानों ने 2 महिला और 4 पुरुष सहित 6 नक्सलियों को मार गिराया है. मारे गए नक्सलियों में सेंट्रल कमेटी (CC) मेंबर गणेश उईके के अलावा एरिया कमेटी मेंबर (ACM) बारी उर्फ राकेश शामिल है.
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कंधमाल जिले के चाकापाड़ इलाके में जवानों की नक्सलियों से जबरदस्त मुठभेड़ बीती रात से जारी है. बीती रात जहां सुरक्षा बल के जवानों ने दो नक्सलियों को मार गिराया था, जिनमें सुकमा का रहने वाला एरिया कमेटी मेंबर (ACM) और बीजापुर का अमृत दलगम सदस्य बारी उर्फ राकेश शामिल था. दोनों पर नक्सलियों पर कुल 23 लाख 65 हजार रुपए का इनाम घोषित था. मौके से दो हथियार बरामद किए गए.

वहीं आज सुबह मुठभेड़ में दो महिला और दो पुरुष नक्सलियों को मार गिराने में कामयाबी हासिल की. इनमें से एक सीसी मेंबर गणेश उईके भी शामिल है. ऑपरेशन में ओडिशा की स्पेशल फ़ोर्स SOG की 20 टीमें व सीआरपीएफ की 3 टीमें मौजूद उड़ीसा पुलिस के DIG ऑपरेशन IPS अखिलेश्वर सिंह व कंधमाल एसपी पूरे ऑपरेशन की मॉनिटरिंग कर रहे हैं. मौक़े से दो नग INSAS राइफल व एक नग 303 रायफल बरामद किया है.
जानिए कौन था गणेश उईके
गणेश उईके की 7 राज्यों में तलाश थी. तेलंगाना के नलगोंडा जिले का रहने वाला गणेश उईके साउथ सब जोनल का इंचार्ज था. सीसी मेंबर गणेश उईके नक्सली संगठन का एक बेहद पुराना और वैचारिक रूप से प्रशिक्षित कैडर रहा है. वह करीब 40 वर्षों से नक्सल संगठन से जुड़ा हुआ था, और संगठन की कई अहम इकाइयों में सक्रिय भूमिका निभा चुका है.
रेडिकल स्टूडेंट्स यूनियन (RSU) जो माओवादी संगठन की छात्र इकाई मानी जाती है, उसके प्रसार की जिम्मेदारी के साथ गणेश उईके 80 के शुरुआती दौर में जगदलपुर पहुँचा था. उस समय उसका मकसद कॉलेज और छात्रावासों के जरिए युवाओं के बीच माओवादी विचारधारा को फैलाना था. इसी क्रम में वह नेहरू छात्रावास और कॉलेज परिसरों में लगातार घूमता रहता था, छात्रों से संपर्क बनाता था और RSU के नेटवर्क को मजबूत करने में जुटा हुआ था.
RSU के जरिए छात्र राजनीति में सक्रिय रहने के बाद गणेश उईके ने खुलकर भूमिगत रास्ता अपनाया और फिर जंगल में हथियार उठाकर नक्सली संगठन की सशस्त्र गतिविधियों में शामिल हो गया. युवाओं को प्रभावित करने से लेकर जंगल में बंदूक थामने तक का उसका सफर, नक्सली संगठन की उस रणनीति को दर्शाता है जिसमें पहले वैचारिक पकड़ बनाई जाती है और फिर सशस्त्र संघर्ष की ओर धकेला जाता है.
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