Gobinda Chandra Pramanik: बांग्लादेश में आम चुनाव (Bangladesh elections) की घोषणा हो चुकी है। चुनाव की घोषणा के तुरंत बाद  शेख हसीना सरकार के तख्तापलट करने वाले कट्टरपंथी नेता उस्मान हादी (Osman Hadi) की हत्या कर दी गई। हादी की हत्या के बाद से बांग्लादेश हिंसा की आग में जल रहा है। मुस्लिम कट्टरपंथी हिंदुओं पर टारगेट अटैक कर रहे हैं। अबतक दो हिंदू बेटों की निर्ममता से हत्या कर दी गई है। हिंदुओं के लिए अनसेफ बांग्लादेश में अब एक हिंदू नेता कट्टरपंथियों के आगे सीना तानकर खड़ा हो गया है। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर जारी हिंसा के बीच हिंदू नेता गोबिंद चंद्र प्रमाणिक ने राष्ट्रीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। गोबिंद चंद्र प्रमाणिक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में शेख हसीना की सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है।

बांग्लादेश जातीय हिंदू महाजोत (Jatiya Hindu Mohajote) के केंद्रीय समिति के महासचिव और वरिष्ठ अधिवक्ता गोबिंद चंद्र प्रमाणिक 12 फरवरी को होने वाले चुनाव में गोपालगंज 3 (कोटालीपाड़ा–तुंगीपाड़ा) सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल करने की तैयारी में हैं।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक गोबिंद 28 दिसंबर को अपना नामांकन पत्र दाखिल करेंगे। गोबिंद चंद्र प्रमाणिक का कहना है कि न तो उनका किसी राजनीतिक दल से कोई संबंध है और न ही वे कभी पार्टी राजनीति में सक्रिय रहे हैं। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों से चुने गए सांसद अक्सर पार्टी अनुशासन के कारण आम लोगों की समस्याओं को उठाने में असमर्थ रहते हैं। मैं इस सीमा को तोड़कर जनता की आवाज बनना चाहता हूं।

हसीना की सीट पर अन्य उम्मीदवार
हसीना की सीट पर अन्य प्रमुख उम्मीदवारों में बीएनपी के एसएम जिलानी, नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) के आरिफुल दरिया, जमात ए इस्लामी के एमएम रेजाउल करीम, गण अधिकार परिषद के अबुल बशर, इस्लामी आंदोलन बांग्लादेश के मारुफ शेख, नेशनल पीपुल्स पार्टी के शेख सलाउद्दीन, खिलाफत मजलिस के ओली अहमद, तथा निर्दलीय उम्मीदवार मोहम्मद हबीबुर रहमान और मोहम्मद अनवर हुसैन शामिल हैं।

अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा में हुई वृद्धि

बता दें कि पिछले वर्ष शेख हसीना के हटने के बाद बांग्लादेश में सत्ता शून्य की स्थिति बन गई थी, जिसका फायदा कट्टरपंथी समूहों ने उठाया था। इसके बाद बांग्लादेश में हिंदू, ईसाई, सूफी और अहमदिया मुस्लिम समुदायों सहित अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा में तेजी आई। इन समूहों ने बढ़ती भारत विरोधी भावना का सहारा लेकर अल्पसंख्यकों पर हमलों को जायज ठहराने और मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के तहत कट्टर इस्लामी एजेंडा आगे बढ़ाने की कोशिश की। ढाका के जटिया प्रेस क्लब के बाहर माइनॉरिटी यूनिटी फ्रंट द्वारा आयोजित सभा में अल्पसंख्यक नेताओं ने कहा कि अपर्याप्त जांच और न्याय की कमी ने देश में भय और अविश्वास का माहौल बना दिया है।

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