Adhik Maas 2026: साल 2026 की शुरुआत होने में अब ज्यादा वक्त नहीं है. अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से तो यह एक सामान्य साल जैसा ही लगेगा, लेकिन हिंदू पंचांग की नजर से देखें तो यह साल काफी अलग और खास रहने वाला है. विक्रम संवत 2082 के अनुसार, आने वाला साल पूरे 13 महीनों का होगा. आमतौर पर जहां साल में 12 महीने होते हैं, वहीं इस बार एक अतिरिक्त महीना जुड़ने जा रहा है, जिसे अधिक मास कहा जाता है.

ग्रामीण इलाकों से लेकर धार्मिक मान्यताओं से जुड़े लोगों तक, अधिक मास का नाम सुनते ही कई सवाल मन में आने लगते हैं. आखिर ऐसा क्यों होता है और हर साल ऐसा क्यों नहीं होता, यह जानना लोगों के लिए जरूरी हो जाता है.

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Adhik Maas 2026
Adhik Maas 2026

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आखिर साल में एक महीना ज्यादा क्यों जोड़ना पड़ता है?

हिंदू पंचांग की गणना चंद्रमा की चाल से की जाती है, जबकि अंग्रेजी कैलेंडर सूर्य की गति पर आधारित है. यहीं से दोनों कैलेंडर के बीच फर्क पैदा होता है.

सीधे शब्दों में समझें तो,

  • सूर्य के हिसाब से एक साल लगभग 365 दिनों का होता है
  • चंद्रमा के हिसाब से एक साल करीब 354 दिनों में पूरा हो जाता है

यानी हर साल करीब 11 दिन कम पड़ जाते हैं. अगर इन दिनों को ऐसे ही छोड़ दिया जाए, तो कुछ सालों में त्योहार अपने तय मौसम से आगे-पीछे होने लगेंगे. जैसे सावन की बारिश सर्दियों में और दीपावली गर्मियों में आने लगे. इसी गड़बड़ी से बचने के लिए पंचांग में समय-समय पर एक अतिरिक्त महीना जोड़ा जाता है.

इसी अतिरिक्त महीने को अधिक मास कहा जाता है. ज्योतिष के अनुसार, लगभग 32 महीने और 16 दिन के अंतराल पर यह स्थिति बनती है.

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2026 में क्या अलग होगा?

साल 2026 में यह अतिरिक्त महीना ज्येष्ठ मास के साथ जुड़ रहा है. आमतौर पर ज्येष्ठ महीना करीब 30 दिनों का होता है, लेकिन इस बार यह लगभग 59 दिनों तक चलेगा. मतलब साफ है कि ज्येष्ठ महीना इस बार करीब दो महीने का हो जाएगा.

  • अधिक मास की शुरुआत होगी: 17 मई 2026
  • अधिक मास का समापन होगा: 15 जून 2026

इसी वजह से कहा जा रहा है कि साल 2026 पूरे 13 महीनों का होगा.

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इसे पुरुषोत्तम मास क्यों कहा जाता है?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अधिक मास को भगवान विष्णु का महीना माना जाता है. मान्यता है कि जब अन्य देवताओं ने इस अतिरिक्त महीने को स्वीकार नहीं किया, तब भगवान विष्णु ने इसे अपनाया. इसी कारण इसे पुरुषोत्तम मास कहा गया, यानी सबसे श्रेष्ठ और पवित्र महीना. इसी वजह से यह महीना भक्ति और साधना के लिए बहुत खास माना जाता है.

अधिक मास के दौरान लोग सांसारिक कामों से ज्यादा ध्यान पूजा-पाठ और धार्मिक गतिविधियों पर लगाते हैं. आमतौर पर इस समय लोग भगवान विष्णु की विशेष पूजा करते हैं, तुलसी माता की आराधना करते हैं, व्रत रखते हैं, मंत्रों का जाप करते हैं, जरूरतमंदों को दान देते हैं मान्यता है कि इस महीने में किया गया पुण्य कई गुना फल देता है.

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किन कामों से दूरी बनाई जाती है?

हालांकि अधिक मास बहुत पवित्र माना जाता है, लेकिन इस दौरान शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते. जैसे:

  • शादी-विवाह
  • गृह प्रवेश
  • मुंडन संस्कार
  • नामकरण
  • नया व्यापार शुरू करना

इन कार्यों को अधिक मास समाप्त होने के बाद करना ही शुभ माना जाता है.

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क्यों खास माना जा रहा है 2026?

साल 2026 इसलिए चर्चा में है क्योंकि: यह सामान्य सालों की तरह 12 नहीं, बल्कि 13 महीनों का होगा. ज्येष्ठ महीना लगभग दो गुना लंबा चलेगा. पुरुषोत्तम मास का दुर्लभ संयोग बनेगा. धार्मिक और ज्योतिषीय नजरिए से यह समय आत्मिक शांति, संयम और भक्ति के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है.

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