Rajasthan News: प्रदेश में किसानों की उपजाऊ जमीनों का अधिग्रहण कर एक्सप्रेसवे बनाने एवं किसानों को उनकी उपज का उचित दाम देने के लिए एमएसपी पर खरीद करने सहित विभिन्न मांगों के लिए प्रदेश के करीब पचास हजार किसान 30 दिसंबर को हुंकार रैली करेंगे। इस में प्रदेश के विभिन्न अंचलों से करीब 50 हजार किसान राजधानी में एकजुट होंगे।

किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने कहा कि उपनिवेशवादी और पूंजीवादी सोच से प्रेरित नीतियों के जरिए कृषि भूमि, किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर हमले हो रहे हैं और प्रदेश में बनाए जा रहे नौ एक्सप्रेस वे के लिए‌ करीब 8800 बीघा जमीन को अधिग्रहण करने की तैयारी की जा रही है। उन्होंने बताया कि खेत को पानी, फसल को दाम, युवाओं को काम और कृषि भूमि व किसानों को बचाने की मांग को लेकर प्रदेश के विभिन्न अंचलों से करीब 50 हजार किसान एकजुट होंगे।

जमीन अधिग्रहण के साथ ही बांट रहे गांव

जाट ने कहा कि देश के करीब दो प्रतिशत लोगों की सुविधा के लिए बनाए जा रहे एक्सप्रेस वे से किसानों की जमीनें अधिग्रहण करने के साथ ही गांव एवं समाजों को बांटा जा रहा है। एक्सप्रेस वे का निर्माण जमीन से बीस से तीस फीट ऊंचा होता है, ऐसे में किसान को रोड के दूसरी तरफ खेतों तक जाने के लिए कई किलोमीटर का चक्कर काटना पड़ेगा। खेतों तक पहुंच की दूरी घटावे और धनपतियों की यात्रा का समय कम करने के लिए सड़कों के नाम पर भूमि अधिग्रहण कृषि प्रधान भारत में किसानों के लिए असहनीय पीड़ा का कारण बन रहा है। उन्होंने कोटपूतली से किशनगढ़ तक प्रस्तावित ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे सहित ऐसे नौ प्रोजेक्ट रद्द करने की मांग की है और जान दे देंगे लेकिन इस तरह की सड़क के लिए जमीन नहीं देंगे का संकल्प लिया है।

कानूनी प्रावधान के बावजूद जोड़ रहे शर्तें

सरकार किसानों की उपजाऊ और बहुफसली जमीनों के अधिग्रहण को लगातार बढ़ावा दे रही है, जिससे खाद्य सुरक्षा पर गंभीर संकट खड़ा हो गया है। वर्ष 2014 से लागू भूमि अधिग्रहण कानून में प्रावधान होने के बावजूद चारा 10 में शर्तें जोड़कर रास्ते चौड़े कर दिए गए हैं और कृषि भूमि का अधिग्रहण निरंतर जारी है। राजस्थान में वर्ष 2025-26 के बजट में ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस वे सहित कई परियोजनाओं की घोषणा की गई।

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