पुरषोत्तम पात्र, गरियाबंद। ओड़िसा के धान पर प्रतिबंध के बाद देवभोग इलाके में मक्का के व्यापार में भी अड़चने आने लगी हैं. इसको लेकर अब लाइसेंसी गल्ला कारोबारियों ने दुकानों के आगे धान खरीदी बंद की तख्ती लगा दी है. धान की अवैध खरीदी पर प्रशासन की कार्रवाई को आसान बनाने कारोबारियों ने ये फैसला लिया है.
धान के अवैध परिवहन को लेकर जिला प्रशासन पूरी तरह सक्रिय है. आलम यह है कि गल्ला व्यवसाई 15 फरवरी तक धान खरीदी बंद रखने की तख्ती अपने दुकानों के आगे टांग दिए हैं.
ओड़िसा सीमा से लगे झखरपारा के कारोबारी आरिफ मेमन ने बताया कि, 500 और 1000 रुपए की जरूरत के पड़ने पर किसान चिल्हर में धान लेकर आ रहे थे, लेकिन खरीदी के लिए आधार कार्ड अनिवार्य किया गया है. किसान धान बेच तो रहे थे, पर कार्ड नहीं दे रहे थे, सख्त कार्रवाई से अब धान की खरीदी पूरी तरह बंद है. इसलिए दुकान के आगे तख्ती टांगना पड़ा है.
सिनापाली के पंकज अग्रवाल,उरमाल के गौरव ट्रेडर्स संचालक ओम जैन ने कहा कि धान के चक्कर मे मक्के का कारोबार प्रभावित हो रहा है, मक्के कि खरीददारी के बाद भी धर पकड़ का सामाना करना पड़ रहा था, हालांकि मक्का की पुष्टि के बाद कार्रवाई नही किया जा रहा था, पर धान होने की आशंका से प्रशासनिक कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा था,इसलिय हमने तख्ती लगाकर यह क्लियर करने की कोशिश किया है कि हमारे संस्थान में धान की खरीदी बिक्री बिल्कुल भी नहीं किया जा रही है.इस तख्ती के बाद थोड़ा राहत महसूस कर रहे हैं.
मंडी सचिव प्रदीप शुक्ला ने भी माना कि धान प्रतिबन्ध के चलते लाइसेंसी व्यवसाई को भी परेशानी का सामना करना पड़ा है. शुक्ला ने कहा कि व्यापारियों को मक्का भरे गाड़ियों को भीतर में धान भरे होने की शंका से कई कई घंटें रोका गया था. उच्चाधिकारियों के दखल के बाद मैदानी अमला पीछे हटे थे. उन्होंने यह भी क्लियर किया है कि, जब तक धान खरीदी के वैधानिक दस्तावेज व्यापारी पेश नहीं करेंगे तब तक उनके धान परिवहन का अनुज्ञा नही काटा जाएगा.
व्यापारी बोले योजना के सफलता के लिए भी यह जरूरी था-
व्यापारी संघ के अध्यक्ष मनोज मिश्रा, सचिव शिवकुमार बताया ने कहा कि एसडीएम ने बैठक कर धान खरीदी योजना को सफल बनाने सहयोग की अपील की थी. ओड़िसा सीमा से लगे इस इलाके में व्यापारियों के बजाए बिचौलिए ओड़िसा के धान का जमकर गोरखधंधा कर रहे, व्यापारियों को यह क्लियर करना भी था कि वे पूरा सहयोग दे रहे हैं, इसलिए भी हमने तख्ती लगाकर कर योजना चलने तक धान नहीं खरीदने का प्रमाण दे दिए हैं. व्यापारियों के इस कदम के बाद बिचौलिए चिन्हाकित हो गए हैं. प्रशासन को कार्यवाही करने में आसानी भी हो रही है.