सुरेश पांडेय, सिंगरौली। जिले में 10 वीं और 12वीं के छात्रों का भविष्य आज गंभीर संकट में दिखाई दे रहा है। वजह है चुनावी कार्यों के तहत शिक्षकों की SIR ड्यूटी। बोर्ड परीक्षाओं के ठीक पहले शिक्षा व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हो चुकी और छात्राएं मानसिक तनाव से जूझ रही हैं।
शिक्षकों को SIR और अन्य निर्वाचन कार्यों में लगा दिया
जिले के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई लगभग ठप पड़ती नजर आ रही है। चुनावी तैयारियों के चलते बड़ी संख्या में शिक्षकों को SIR और अन्य निर्वाचन कार्यों में लगा दिया गया है। इसका सीधा असर कक्षा 10वीं और 12वीं की पढ़ाई पर पड़ा है। हिंदी, अंग्रेजी, विज्ञान, फिजिक्स और केमिस्ट्री जैसे मुख्य विषयों का सिलेबस अब तक पूरा नहीं हो पाया है। कई स्कूलों में नियमित कक्षाएं नहीं लग पा रही हैं। लगातार यह सवाल कर रहे हैं कि जब सिलेबस ही अधूरा है, तो बोर्ड परीक्षा की तैयारी कैसे होगी।
पढ़ाने वाले शिक्षक नहीं, सिलेबस अधूरा
सबसे चिंताजनक बात यह है कि जिन शिक्षकों की ड्यूटी सबसे आखिरी में लगाई जानी चाहिए थी, उन्हें प्राथमिकता के आधार पर SIR जैसे महत्वपूर्ण निर्वाचन कार्यों में तैनात कर दिया गया। अनुभवी विषय शिक्षकों की गैर मौजूदगी में पढ़ाई की गुणवत्ता बुरी तरह प्रभावित हुई है। हम लोग रोज स्कूल आ रहे हैं, लेकिन पढ़ाने वाले शिक्षक नहीं हैं। सिलेबस अधूरा पड़ा है और परीक्षा सिर पर है। हमें बहुत चिंता हो रही है।
शिक्षा के अधिकार और छात्राओं के भविष्य से खिलवाड़
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि बोर्ड परीक्षाओं के समय शिक्षकों की लंबी चुनावी ड्यूटी शिक्षा के अधिकार और छात्राओं के भविष्य दोनों के साथ खिलवाड़ है। यदि जल्द वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई, तो इसके गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं।अधिकारियों की ओर से अब तक इस समस्या को लेकर कोई ठोस जवाब सामने नहीं आया है। न ही सिलेबस पूरा कराने को लेकर कोई विशेष योजना घोषित की गई है। अब सवाल यह है कि क्या शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन छात्रों की इस चिंता को समझेगा और समय रहते शिक्षकों को राहत देगा, या फिर सिंगरौली में देश का भविष्य कहे जाने वाले छात्र-छात्राओं का भविष्य इसी तरह अंधकार में डूबा रहेगा?
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