दिल्ली पुलिस में अब एसएचओ और एसीपी का दो साल का निश्चित कार्यकाल होगा। लगातार चार साल की तैनाती के बाद दो साल का कूलिंग ऑफ पीरियड अनिवार्य होगा। दिल्ली पुलिस कमिश्नर (CP) सतीश गोलचा ने पिछले दिनों एक स्टैंडिंग ऑर्डर जारी किया है, जिसमें ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए गाइडलाइंस दी हैं। सीपी के स्टैंडिंग ऑर्डर नंबर HRD/19/2025 की कॉपी एनबीटी के पास है। थाने में स्टेशन हाउस ऑफिसर (SHO) के तौर पर एक इंस्पेक्टर का अब दो साल का निश्चित कार्यकाल रहेगा। यही नियम सब-डिविजन में तैनात असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर (ACP) के लिए भी होगा। लगातार चार साल तक एसएचओ रहने पर दो साल तो सब-डिविजन में एसीपी रहने पर एक साल के ‘कूलिंग ऑफ’ पीरियड में जाना होगा। सीपी की अगुआई में चार सबसे सीनियर स्पेशल सीपी का बना सेंट्रल पुलिस एस्टेब्लिशमेंट बोर्ड (PEB) एक जिले या यूनिट से दूसरे में ट्रांसफर पोस्टिंग के सभी फैसले करेगा।
सब डिविजन एसीपी और थाने के एसएचओ के लिए दो अलग-अलग स्क्रीनिंग कमिटियां होंगी, जिनके चेयरमैन स्पेशल सीपी (HRD) होंगे। लॉ एंड ऑर्डर के दोनों स्पेशल सीपी के अलावा विजिलेंस और सीपी की तरफ से नॉमिनेट एक अफसर भी रहेंगे। एसएचओ वाली स्क्रीनिंग कमिटी में जॉइंट सीपी (हेडक्वॉर्टर) भी होंगे।
स्क्रीनिंग कमिटी की सिफारिश के बाद पुलिस कमिश्नर की अगुआई वाली PEB इन ट्रांसफर-पोस्टिंग पर अंतिम मुहर लगाएगी। अगर किसी भी कैंडिडेट को स्क्रीनिंग कमिटी के फैसले पर ऐतराज होगा तो वो एक महीने के भीतर सीपी को स्क्रीनिंग की प्रक्रिया के खिलाफ अपना रिप्रजेंटेशन दे सकता है।
इसी तरह डाउटफुल इंटेग्रिटी वाले, विभागीय जांच से गुजर रहे, किसी क्रिमिनल केस में चार्जशीटेड और करप्शन के आरोप वालों को भी लिस्ट से बाहर रखा जाएगा। यही नहीं, जो एसीपी या एसएचओ पोस्टिंग के बाद जॉइन करने से मना करते हैं, उन्हें भी एक साल तक बाहर रखा जाएगा।
एसएचओ की तरह ट्रैफिक इंस्पेक्टरों के लिए भी लगातार चार साल का नियम रखा गया है। इसके बाद उन्हें भी दो साल का कूलिंग ऑफ पीरियड काटना होगा, जिसके बाद वो दोबारा ट्रैफिक पुलिस में आ सकेंगे। आउट ऑफ टर्न प्रमोशन पाने वाले पुलिस वालो को जहां तक संभव हो उसी यूनिट में रखने को कहा गया है, जहां बेहतरीन काम करने से उन्हें यह प्रमोशन हासिल हुआ है।
स्टेशन हाउस ऑफिसर और असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर की ट्रांसफर पोस्टिंग के लिए एक्सरसाइज साल में दो बार यानी जनवरी और जुलाई में होगी। लिहाजा डीसीपी (एस्टेब्लिशमेंट PHQ) सब-डिविजन में नहीं लग पाए एसीपी और थानों में एसएचओ नहीं लग सके इंस्पेक्टरों की लिस्ट उनकी वरिष्ठता के अनुसार तैयार रखेंगे। इस ‘सिलेक्ट लिस्ट पैनल’ से कूलिंग ऑफ पीरियड से गुजर रहे एसीपी या एसएचओ को बाहर रखा जाएगा।
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