राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंचालक डॉ. मोहन भागवत ने भारत को विश्वगुरु बनाने को लेकर एक बड़ा बयान दिया है. तेलंगाना के रंगारेड्डी में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि विश्वगुरू बनना हमारी महत्वाकांक्षा नहीं है, बल्कि यह दुनिया की आवश्यकता है. उन्होंने हिंदू और भारतीय सभ्यता ने ही हजारों सालों तक दुनिया का मार्गदर्शन किया. वे दुनिया भर में गए लेकिन किसी का धर्म नहीं बदला.
किसी को जीता नहीं बल्कि जो जैसे थे. उनकाे उसी स्थिति में अच्छे जीवन और आगे बढ़ने का रास्ता दिखाया. भागवत ने कहा कि दुनिया के देश खूब ताकत लगा चुके हैं लेकिन जहां तक वे पहुंचना चाहते थे, नहीं पहुंच पाए हैं. सिर्फ भारत की ऐसा कर सकता है. इसलिए भारत का विश्वगुरु बनना एक वैश्विक आवश्यकता है.
विश्वगुरु बनने के लिए मेहनत जरूरी
मोहन भागवत ने कहा कि विश्वगुरु ऐसे नहीं बना जाता है. उसके लिए मेहनत करनी पड़ती है. उन्होंने यह भी कहा कि अनेक धाराओं से यह मेहनत चल रही है. उसमें एक धारा संघ की है. व्यक्ति निर्माण उसमें एक है. उन्होंने कहा कि संघ के लोग व्यक्ति निर्माण करते हैं और समाज में परिर्वतन खड़ा करने वाले व्यक्ति को तरह-तरह कार्य करने के लिए भेजते भी हैं. भागवत ने कहा आज उनके कामों की तारीफ होती है. उनके कामों को समाज का विश्वास मिलता है. मोहन भागवत ने कहा कि यह सब क्यों करना? हमारे करके दिखाना नहीं है.
हमें कुछ साबित नहीं करना है. हमें किसी का सर्टिफिकेट भी नहीं चाहिए. उन्होंने कहा ये हमारा देश है. यह हमारा समाज है. ये हमारा धर्म है. एक कर्तव्य लेकर समाज का जन्म हुआ है. इसलिए व्यक्ति और समाज तैयार हो. परिवार तैयार हो. हम तैयार हों. ऐसा करने के बाद साारी दुनिया को ज्ञान के विस्तार में नीति के साथ आगे बढ़ने का रास्त दे सकें. यह हमारा लक्ष्य है.
सनातन धर्म पुनरुत्थान भगवान की इच्छा
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा किवह समय अब आ गया है. 100 साल पहले, जब योगी अरविंद ने घोषणा की थी कि सनातन धर्म का पुनरुत्थान भगवान की इच्छा है, और हिंदू राष्ट्र का उदय सनातन धर्म के पुनरुत्थान के लिए है. भारत या हिंदू राष्ट्र, और सनातन धर्म, हिंदुत्व, ये सब एक ही हैं. उन्होंने संकेत दिया था कि यह प्रक्रिया शुरू हो गई है. अब हमें उस प्रक्रिया को जारी रखना है. हम देख रहे हैं कि भारत में संघ के प्रयास और अपने-अपने देशों में हिंदू स्वयंसेवक संघों के प्रयास एक जैसे हैं, यानी हिंदू समुदाय को संगठित करना. पूरी दुनिया में धार्मिक जीवन जीने वाले समाज का उदाहरण पेश करना, धार्मिक जीवन जीने वाले लोगों के उदाहरण पेश करना.
RSS का काम हिंदू समाज को एकजुट करना
भागवत ने कहा कि हम देख रहे हैं कि भारत में संघ के प्रयास और अपने-अपने देशों में हिंदू स्वयंसेवक संघों के प्रयास एक जैसे हैं यानी हिंदू समुदाय को संगठित करना. पूरी दुनिया में धार्मिक जीवन जीने वाले समाज का उदाहरण पेश करना, धार्मिक जीवन जीने वाले लोगों के उदाहरण पेश करना. उन्होंने कहा कि जो प्रक्रिया 100 साल पहले शुरू हुई थी, उसे अब और तेजी से आगे बढ़ाना हम सबकी जिम्मेदारी है.
सेवा कई कारणों से की जाती है- भागवत
भागवत ने आगे कहा कि सेवा कई कारणों से की जाती है. हर पांच साल में हम ऐसे लोगों की बाढ़ देखते हैं जो सेवा करना चाहते हैं. वे हाथ जोड़कर और बड़ी मुस्कान के साथ घर-घर जाते हैं और कहते हैं कि हमें आपकी सेवा करने का मौका दीजिए. अब, ऐसे बहुत सारे लोग होते हैं और फिर आप उन्हें पांच साल तक दोबारा नहीं देखते. क्यों? क्योंकि सेवा बाद में इनाम की उम्मीद में की जा रही है. इसलिए यह सच्ची सेवा नहीं है. यह एक लेन-देन है. हम आपका काम करेंगे, आप हमारा काम कीजिए.
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