राजधानी के सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को अब स्कूल परिसर और आसपास के क्षेत्रों में लावारिस कुत्तों की गिनती करने की जिम्मेदारी दी गई है। यह कदम उत्तराखंड मॉडल की तर्ज पर उठाया गया है। शिक्षा विभाग ने इस प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाने के लिए नोडल अधिकारी भी तैनात किया है। शिक्षक न केवल अपने शिक्षण संस्थान और स्कूल परिसर, बल्कि खेल परिसरों के आसपास घूम रहे आवारा कुत्तों के बारे में भी जानकारी एकत्र करेंगे। अधिकारियों का कहना है कि यह पहल सुरक्षा और स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि स्कूल परिसर में आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ने से बच्चों और कर्मचारियों की सुरक्षा पर असर पड़ सकता है।

प्रशासन को देनी होगी रिपोर्ट

शिक्षकों के मुताबिक, केवल कुत्तों की संख्या गिनना ही नहीं, बल्कि प्रशासन को यह भी बताना होगा कि उनके पुनर्वास या नियंत्रण के लिए क्या कदम उठाए गए हैं और क्या कदम उठाने बाकी हैं। इसके बाद तैयार की गई रिपोर्ट स्थानीय प्रशासन को सौंपी जाएगी। यह फैसला फिलहाल उत्तर-पश्चिमी जिले के सरकारी स्कूलों में लागू किया गया है। उप-शिक्षा निदेशक ने 15 दिसंबर को निर्देश जारी किए, जिनमें जिले के तीन अधिकारियों को नोडल अधिकारी के रूप में तैनात किया गया है।

शिक्षक संघ ने इस फैसले का विरोध किया है और इसे शिक्षकों पर अतिरिक्त बोझ डालने वाला कदम बताया है। अधिकारियों का कहना है कि यह पहल सुरक्षा और स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है, क्योंकि स्कूल परिसरों में आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ने से बच्चों और कर्मचारियों की सुरक्षा प्रभावित हो सकती है।

संघ ने किया विरोध

शिक्षक संघ ने इस फैसले का सख्त विरोध किया है। संघ का कहना है कि शिक्षक का मुख्य कार्य शिक्षा और बेहतर सीख प्रदान करना है, न कि आवारा कुत्तों की जानकारी इकट्ठा करना। जीएसटीए के जिला सचिव संत राम ने कहा, “शिक्षकों को सम्मान मिलना चाहिए, लेकिन दुर्भाग्य से अब उन्हें ऐसा काम करने के लिए कहा जा रहा है। यह निर्देश शिक्षकों की गरिमा के खिलाफ है और पूरे शिक्षा जगत का अपमान करता है। यह पहली बार हो रहा है।”

लेक्चरर-शिक्षक हैं शामिल

राजधानी के सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले लगभग 118 शिक्षकों को अब स्कूल परिसर और आसपास के क्षेत्रों में लावारिस कुत्तों की जानकारी एकत्रित करने की जिम्मेदारी दी गई है। यह फैसला उत्तराखंड मॉडल की तर्ज पर लिया गया है और उप-शिक्षा निदेशक ने उत्तर-पश्चिमी जिले के लिए 15 दिसंबर को निर्देश जारी किए हैं। इस कार्य में लेक्चरर, टीजीटी, पीजीटी और लैब सहायक स्तर के शिक्षक शामिल हैं। शिक्षकों को न केवल कुत्तों की संख्या गिननी है, बल्कि स्कूल परिसर और खेल परिसरों के आसपास कुत्तों के पुनर्वास या नियंत्रण के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी भी प्रशासन को देनी होगी। शिक्षक संघ ने इस कदम का विरोध करते हुए कहा है कि शिक्षक का काम शिक्षा और बेहतर सीख देना है, न कि आवारा कुत्तों की गिनती करना, और यह निर्देश शिक्षकों की गरिमा के खिलाफ है।

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