India Budget 2026 Trade Policy: भारत के सामने इस समय व्यापार को लेकर दो बड़ी परेशानियां हैं. पहली परेशानी अमेरिका से जुड़ी है और दूसरी चीन से. दोनों ही देश भारत के बड़े ट्रेड पार्टनर हैं, लेकिन दोनों के साथ हालात अलग-अलग हैं.

अमेरिका ने भारत के कई प्रोडक्ट्स पर करीब 50 फीसदी तक टैरिफ लगाया हुआ है. इससे भारत को नुकसान हो रहा है. हालांकि अमेरिका को भारत का एक्सपोर्ट बढ़ा है और कुल मिलाकर भारत का निर्यात भी बढ़ा है, लेकिन ऊंचा टैरिफ अब भी एक बड़ी रुकावट बना हुआ है.

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India Budget 2026 Trade Policy
India Budget 2026 Trade Policy

भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील की बातचीत चल रही है, लेकिन यह साफ नहीं है कि समझौता कब होगा. टैरिफ हटेगा या नहीं, इस पर अभी कोई पक्का जवाब नहीं है. जब तक दोनों देश किसी नतीजे पर नहीं पहुंचते, तब तक भारत को यह दबाव झेलना पड़ेगा. इसका असर शेयर बाजार और विदेशी निवेश पर भी दिख रहा है.

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चीन से जुड़ी परेशानी ज्यादा गंभीर

दूसरी समस्या अमेरिका से भी बड़ी मानी जा रही है. यह परेशानी चीन के साथ बढ़ते ट्रेड घाटे की है. भारत और चीन के बीच ट्रेड डेफिसिट अब 100 अरब डॉलर से भी ज्यादा हो चुका है.

भारत चीन से बहुत ज्यादा सामान मंगाता है, लेकिन चीन को उतना सामान नहीं बेच पाता. इसका सीधा नुकसान भारत की कमाई को होता है. सबसे ज्यादा मार देश के छोटे और मझोले उद्योगों यानी MSME सेक्टर पर पड़ रही है. धीरे-धीरे यह ट्रेड घाटा अर्थव्यवस्था को भी कमजोर कर रहा है.

इस समस्या को दूर करने के लिए भारत को किसी दूसरे देश से बातचीत करने की जरूरत नहीं है. इसके लिए सरकार खुद फैसला ले सकती है.

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बजट 2026 में हो सकता है बड़ा ऐलान

सरकार बजट 2026 में एक बड़ा कदम उठा सकती है. इसका मकसद इंपोर्ट पर निर्भरता कम करना और देश के भीतर मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना होगा. माना जा रहा है कि सरकार उन प्रोडक्ट्स पर ध्यान देगी, जिनका उत्पादन भारत में हो सकता है, लेकिन फिर भी उन्हें बाहर से मंगाया जा रहा है.

सरकार दो तरह के फैसले ले सकती है:

  • कुछ प्रोडक्ट्स पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाई जा सकती है
  • कुछ प्रोडक्ट्स के लोकल मैन्युफैक्चरर्स को आर्थिक मदद दी जा सकती है

इससे उन देशों को नुकसान हो सकता है, जिनके साथ भारत का ट्रेड घाटा बहुत ज्यादा है. खासकर ऐसे देश, जिनसे भारत नॉन-ऑयल प्रोडक्ट्स ज्यादा मंगाता है.

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करीब 100 प्रोडक्ट्स की लिस्ट तैयार

सरकार ने लगभग 100 ऐसे प्रोडक्ट्स की पहचान की है, जिन पर कदम उठाया जा सकता है. इस लिस्ट में शामिल हैं:

  • इंजीनियरिंग से जुड़े सामान
  • स्टील और इस्पात उत्पाद
  • मशीनरी
  • सूटकेस जैसे रोजमर्रा के उपभोक्ता सामान
  • फर्श में इस्तेमाल होने वाली सामग्री

इनमें से कई प्रोडक्ट्स पर अभी 7.5 से 10 फीसदी तक ही इंपोर्ट ड्यूटी है.

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आंकड़े क्यों बढ़ा रहे चिंता

वित्त वर्ष 2026 के अप्रैल से नवंबर के बीच भारत ने करीब 292 अरब डॉलर का सामान एक्सपोर्ट किया. वहीं इसी दौरान भारत ने 515.2 अरब डॉलर का सामान इंपोर्ट किया. यानी आयात और निर्यात के बीच का फर्क काफी ज्यादा है.

इसी वजह से नीति बनाने वालों की चिंता बढ़ गई है. सरकार चाहती है कि उद्योग एक ही देश पर निर्भर न रहें और देश के भीतर सप्लाई चेन मजबूत हो.

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चीन सबसे बड़ा सप्लायर बना हुआ है

कई चीजों में चीन की हिस्सेदारी बहुत ज्यादा है. उदाहरण के लिए:

  • वित्त वर्ष 2025 में भारत ने करीब 20.85 मिलियन डॉलर की छतरियां मंगाईं, जिनमें से 17.7 मिलियन डॉलर की छतरियां चीन से आईं
  • 2024-25 में चश्मे और गॉगल्स का इंपोर्ट करीब 114 मिलियन डॉलर का रहा, जिसमें आधा सामान चीन से आया
  • कुछ कृषि मशीनों में चीन की हिस्सेदारी 90 फीसदी तक है

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चीन के साथ ट्रेड गैप साफ नजर आता है

वित्त वर्ष 2026 के अप्रैल से नवंबर के बीच भारत ने चीन को 12.2 बिलियन डॉलर का सामान बेचा. वहीं चीन से 84.2 बिलियन डॉलर का सामान मंगाया. यानी करीब 72 बिलियन डॉलर का सीधा ट्रेड घाटा.

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अब सरकार क्या चाहती है

सरकार का साफ इरादा है कि:

  • इंपोर्ट कम किया जाए
  • लोकल प्रोडक्शन बढ़ाया जाए
  • सप्लाई चेन में एक ही देश पर निर्भरता खत्म हो

अगर बजट 2026 में ये फैसले होते हैं, तो इससे भारत की दिशा बदल सकती है और चीन पर निर्भरता धीरे-धीरे कम हो सकती है.

कुल मिलाकर, सरकार अब बड़े फैसले लेने के मूड में दिख रही है. आने वाला बजट सिर्फ आंकड़ों का नहीं, बल्कि रणनीति बदलने वाला बजट साबित हो सकता है.

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