President Droupadi Murmu sang a Santali song Video: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आज झारखंड दौरे पर पहुंचीं. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जमशेदपुर में आयोजित ओलचिकी लिपि के शताब्दी समारोह में शामिल हुईं. इस दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संथाली भाषा (Santali language) में गीत गाकर माहौल को सुरमयी बना दिया. कार्यक्रम में पहुंचे मंत्रमुग्ध होकर राष्ट्रपति को सुनते रहें. मंच पर मौजूद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपनी आंखें मूंदकर गीत का आनंद उठाया. इस दौरान पंडित रघुनाथ मुर्मू को याद किया गया. वे महान संथाली लेखक, शिक्षक और विचाक थे. उन्होंने कड़ी मेहनत से संथाली भाषा की ओल चिकी लिपि का आविष्कार किया था.
इससे पहले राष्ट्रपति ने जोहार शब्द के साथ संथाली भाषा में अपना संबोधन शुरू किया. उन्होने इस भाषा का महत्व बताते हुए युवा पीढ़ी को अपनी मातृभाषा को अक्षुण रखने की सलाह दी.
उन्होंने संविधान के संताली अनुवाद पर कहा कि अटल बिहारी बाजपेयी के 100 साल होने पर ओलचिकी में संविधान का प्रकाशन किया गया. राष्ट्रपति ने कहा कि संताली आठवीं अनुसूची में शामिल हुआ है. स्वागत भाषण के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी संथाली भाषा में कार्यक्रम को संबोधित किया. इस दौरान पंडित रघुनाथ मुर्मू को याद किया गया. वे महान संथाली लेखक, शिक्षक और विचाक थे. उन्होंने कड़ी मेहनत से संथाली भाषा की ओल चिकी लिपि का आविष्कार किया था.
भारत और विश्व में कई जगह संताल निवास करते हैं
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि हम सब जानते हैं कि भारत और विश्व में कई जगह संताल निवास करते हैं. बड़े महानगरों से लेकर अलग-अलग शहरों में हमारे लोग रह रहे हैं. ओलचिकी संतालों की मजबूत पहचान है. इसी से समाज के लोगों में एकता आ रही है. यह आयोजन भी उसी में से एक है. उन्होंने राष्ट्रपति की जीवन यात्रा जिक्र करते हुए उसे आज की लड़कियों के लिए प्रेरणाश्रोत बताया. उन्होंने कहा कि ये उत्सव हमारी लोक संस्कृति और लोक स्मृति और सामुदायिक एकता का उत्सव है जो पीढ़ियों से हमारी पहचान को जीवित रखे हुए है.
राज्यपाल ने मंच पर मौजूद पश्चिम बंगाल के झारग्राम से लोकसभा सांसद कालीपाड़ा सोरेन, अखिल भारतीय संथाली राईटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष लक्ष्मण किस्कू और जाहेरथान कमेटी के अध्यक्ष सीआर मांझी समेत कार्यक्रम में मौजूद लोगों का स्वागत करते हुए कहा कि यह आयोजन एक उत्सव नहीं बल्कि जनजातीय समाज की भाषा, संस्कृति और अस्मिता का सजीव उत्सव है. कार्यक्रम के दौरान ओलचिकी भाषा को आगे बढ़ाने में अलग अलग तरीके से योगदान देने वाले महानुभावों को सम्मानित किया गया. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रशस्ति पत्र और मोमेंटो देकर सम्मानित किया.
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