नालंदा। जिले के शिक्षा विभाग में प्री-फैब स्ट्रक्चर निर्माण योजना से जुड़ा गंभीर वित्तीय अनियमितता का मामला सामने आया है। वर्ष 2023-24 में चयनित विद्यालयों को निर्माण कार्य हेतु पांच-पांच लाख रुपये की राशि उपलब्ध कराई गई थी लेकिन दो वर्ष बीत जाने के बाद भी 15 स्कूलों ने न तो कार्य का विवरण दिया और न ही उपयोगिता प्रमाण पत्र (यूसी) जमा किया। इसके बाद योजना एवं लेखा के डीपीओ ने इन स्कूलों के प्रधानाध्यापकों और प्रभारी प्राचार्यो का वेतन तत्काल प्रभाव से रोकने के निर्देश जारी किए हैं तथा विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा की है।

70 लाख का हिसाब अधूरा

रिपोर्ट के अनुसार 14 विद्यालयों पर पांच-पांच लाख रुपये का हिसाब बाकी है, जबकि एक विद्यालय में 4.85 लाख रुपये का लेखा-जोखा लंबित है। इस तरह कुल राशि 74 लाख 85 हजार रुपये तक पहुंच गई है। विभाग का कहना है कि लगातार नोटिस, फोन कॉल और वीसी निर्देशों के बावजूद संबंधित अधिकारियों ने कोई जवाब नहीं दिया।

एकंगरसराय में सबसे अधिक मामले

मामलों में सबसे अधिक एकंगरसराय प्रखंड के पांच स्कूल शामिल है जहां कुल 25 लाख रुपये का उपयोगिता ब्योरा नहीं मिला। अधिकारियों का मानना है कि इतनी लंबी देरी संभावित वित्तीय गड़बड़ी या गबन की ओर संकेत करती है।

गंभीर लापरवाही और अनुशासनहीनता का आरोप

डीपीओ ने इसे आदेश उल्लंघन, वित्तीय अनियमितता और कर्तव्य की घोर लापरवाही करार दिया है। साथ ही विभाग पर भी सवाल उठे हैं कि दो साल तक सख्त कार्रवाई क्यों नहीं की गई।

जिन स्कूलों पर कार्रवाई

दबई बिगहा मध्य विद्यालय, बेन उच्च विद्यालय, दयालपुर उत्क्रमित मध्य विद्यालय, चन्दापुर प्राथमिक विद्यालय, धुरगांव उत्क्रमित मध्य विद्यालय, बदराबाद, केशोपुर, जमुआवां, इसुआ, नवसृजित विद्यालय डॉ. इंग्लिश, केल्हुआ मध्य विद्यालय, कुंदी उच्च विद्यालय और हरिजन टोला प्यारेपुर प्राथमिक विद्यालय शामिल हैं।