India Becomes World Fourth Largest Economy: नए साल की शुरुआत से एक दिन पहले भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) को लेकर बड़ी खुशखबरी आई है। 4.18 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन गया है। नेय साल शुरू होने से एक एक दिन पहले जापान को पीछे छोड़कर हमने यह उपलब्धि हासिल की है। मोदी सरकार ने कहा है कि भारत 4.18 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था के साथ जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। साथ ही 2030 तक जर्मनी को पीछे छोड़कर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है।
भारत की जीडीपी का कुल वैल्यूएशन अब 4.18 ट्रिलियन डॉलर (करीब ₹350 लाख करोड़) हो गया है। जापान को पीछे छोड़ने के बाद अगले 2.5 से 3 साल में भारत जर्मनी को भी पीछे छोड़ देगा और साल 2030 तक 7.3 ट्रिलियन डॉलर (₹655 लाख करोड़) की इकोनॉमी के साथ दुनिया में तीसरे नंबर पर आ जाएगा। RBI ने ग्रोथ ट्रेंड को देखते हुए पूरे साल के लिए इसका अनुमान 6.8% से बढ़ाकर 7.3% कर दिया है।

4.18 ट्रिलियन डॉलर जीडीपी का ढिंढोरा पीटकर और अपनी छाती फूलाकर हम यह बिलकुल कह सकते हैं कि विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थवस्था हमारी है। लेकिन वो कहावत है न कि हर सिक्के के दो पहलू होतें हैं। इस कहानी में भी एक दूसरा पहलू है जो छिपा हुआ है।
8 करोड़ जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे
कहानी में दूसरा पहलू यह है कि हम भले ही विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गए हैं लेकिन आज भी हमारी कुल आबादी का 8 करोड़ जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे हैं। हम आज भी फ्री स्कीमों (freebie politics) के पीछे भाग रहे हैं। इसी का नतीजा है कि राज्यों की 80% तक कमाई फ्री स्कीमों और वेतन-पेंशन में खर्च हो रहे हैं। मुफ्त की योजनाएं (फ्री स्कीम) और सब्सिडी राज्यों की सत्ता पाने का ‘शर्तिया नुस्खा’ राज्यों की बिगड़ती वित्तीय सेहत का बड़ा साइड इफेक्ट बनकर सामने आ रही है। राज्यों के पास बिजली, सड़क और आवास के लिए पैसा ही नहीं है। पंजाब जैसे राज्य के हाथ तो खर्च के लिए सिर्फ 7% राशि ही बच ती है।

मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, बिहार की हालत खराब
मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, बिहार जैसे राज्यों का कर्ज उनकी जीडीपी की तुलना में एक तिहाई के करीब है या ज्यादा है। ऐसे में इन पर आने वाले सालों में मूलधन की अदायगी का बोझ और बढ़ सकता है। बिहार में चुनावी वादे पूरे करने पर आने वाला बोझ राज्य के पूंजीगत व्यय का 25 गुना हो सकता है। राज्य दिवालिया हो सकता है। महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे बड़े राज्यों का अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा केवल वेतन, पेंशन और अन्य जरूरी खर्च में चला जाता है। विकास के लिए एक छोटी राशि ही मिलती है। राजस्थान, समेत कई राज्यों में 45 गीगावॉट की सौर, पवन ऊर्जा क्षमता अटकी हुई हैं, क्योंकि सरकारें बिजली खरीद समझौते पर हस्ताक्षर तक नहीं कर पा रही हैं।
बंगाल पर ब्याज का बोझ शिक्षा बजट से ज्यादा
- बंगाल: कमाई का 21.2% हिस्सा तो ब्याज चुकाने में जाता है। यह शिक्षा-सेहत (18.7%) के साझा बजट से ज्यादा।
- राजस्थान: कर्ज और ब्याज के बढ़ते बोझ के कारण स्वास्थ्य बजट पर खर्च स्थिर है।
- मध्य प्रदेश: लाड़ली बहना जैसी योजनाओं के चलते कर्ज के ब्याज का बोझ बढ़ता जा रहा है।
- कर्नाटक: गारंटी योजनाएं ब्याज अदायगी का बोझ पिछले साल के मुकाबले बढ़ा रही हैं।
- महाराष्ट्र: जून में 903 विकास प्रोजेक्ट की मंजूरी रद्द। अधिकांश सिंचाई, बांध से जुड़ी थीं।
फ्रीबीज राजनीति पर सुप्रीम कोर्ट लगा चुका है फटकार
देश में बढ़ते फ्रीबीज राजनीति पर सुप्रीम कोर्ट राजनीति पार्टियों को फटकार लगाते हुए सख्त टिप्पणी कर चिका है। 12 फरवरी 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव के वक्त की जाने वाली मुफ्त की योजनाओं (फ्रीबीज) पर सख्त टिप्पणी में कहा था- लोग काम करना नहीं चाहते, क्योंकि आप (राज्य-केंद्र सरकारें) उन्हें मुफ्त राशन दे रहे हैं। बिना कुछ किए उन्हें पैसे दे रहे हैं। इन लोगों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने की बजाय, क्या आप मुफ्त की योजनाएं लागू करके परजीवियों की जमात नहीं खड़ी कर रहे हैं? बेंच ने केंद्र से कहा- हम आपकी परेशानी समझते हैं और सराहना करते हैं, लेकिन क्या यह अच्छा नहीं होगा कि आप ऐसे लोगों को मुख्यधारा का हिस्सा बनाएं और उन्हें देश के विकास का हिस्सा बनाएं।
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