Vodafone Idea Shares: टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया के शेयर 2025 में अब तक करीब 50% चढ़ चुके हैं. इसी अवधि में भारती एयरटेल ने लगभग 31.35% का रिटर्न दिया है. इसका साफ मतलब है कि रिटर्न के मामले में वोडाफोन आइडिया ने अपने बड़े कॉम्पिटीटर को पीछे छोड़ दिया है.
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ब्रोकरेज की राय: टारगेट प्राइस पर मतभेद
वोडाफोन आइडिया को लेकर ब्रोकरेज हाउस की राय अलग-अलग है. एंबिट कैपिटल ने स्टॉक का टारगेट प्राइस ₹15.40 से घटाकर ₹15.10 कर दिया है. इसकी वजह कंपनी के शॉर्ट टर्म ARPU यानी एवरेज रेवेन्यू पर यूजर के अनुमान में कटौती बताई गई है, जो दूसरे टेलीकॉम ऑपरेटर्स में दिख रहे ट्रेंड के अनुरूप है.
हालांकि इसके बावजूद एंबिट कैपिटल का मानना है कि मौजूदा स्तर से शेयर में करीब 26% तक की तेजी की संभावना बनी हुई है. इसी वजह से ब्रोकरेज ने स्टॉक पर अपनी ‘बाय’ रेटिंग बरकरार रखी है. ब्रोकरेज का कहना है कि आगे शेयर की दिशा तय करने में सब्सक्राइबर ग्रोथ सबसे अहम फैक्टर होगी.
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JM Financial और MOFSL की राय
दूसरी ओर, JM Financial ने वोडाफोन आइडिया को ‘ऐड’ रेटिंग दी है और इसका टारगेट प्राइस ₹11.50 रखा है. यह मौजूदा स्तर से करीब 5% गिरावट का संकेत देता है. वहीं, मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज (MOFSL) ने स्टॉक के लिए ₹10 का टारगेट दिया है, जो करीब 17.4% की संभावित गिरावट दर्शाता है.
एयरटेल और जियो के मुकाबले कमजोर स्थिति
एंबिट कैपिटल का कहना है कि भारती एयरटेल और जियो की तुलना में वोडाफोन आइडिया के पास नए बिजनेस में विस्तार के सीमित मौके हैं. ब्रोकरेज को उम्मीद है कि कंपनी FY28 से नेट सब्सक्राइबर जोड़ना शुरू कर सकती है, लेकिन तब तक उसे कई चुनौतियों का सामना करना होगा.
एंबिट के मुताबिक, भारी सरकारी बकाया यानी AGR और कैपेक्स के लिए फंड जुटाने में दिक्कतों के कारण 2018 के मर्जर के बाद से वोडाफोन आइडिया का कस्टमर मार्केट शेयर करीब 18.81% घट चुका है. फिलहाल कंपनी का मार्केट शेयर लगभग 17.1% रह गया है.
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सरकारी राहत क्यों जरूरी है
एंबिट कैपिटल का मानना है कि सरकार डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे रणनीतिक सेक्टर में डुओपॉली से बचने के लिए वोडाफोन आइडिया को समर्थन दे सकती है. ब्रोकरेज को उम्मीद है कि सरकार AGR बकाया पर दो साल की मोहलत दे सकती है.
मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर एंबिट का कहना है कि सरकार सिर्फ मोरेटोरियम ही नहीं, बल्कि AGR बकाया में आंशिक राहत पर भी विचार कर सकती है. हालांकि इस संभावित राहत को फिलहाल टारगेट प्राइस में शामिल नहीं किया गया है.
फंडिंग और कैपेक्स पर बना रहेगा फोकस
एंबिट कैपिटल ने सरकारी समर्थन की उम्मीद के साथ वोडाफोन आइडिया पर अपनी ‘बाय’ रेटिंग कायम रखी है. ब्रोकरेज का मानना है कि सरकारी मदद मिलने से कंपनी फंड जुटाने और जरूरी कैपेक्स करने में सक्षम होगी.
तुलना करें तो भारती एयरटेल के पास करीब 3.40 लाख टावर हैं, जबकि वोडाफोन आइडिया के पास लगभग 1.95 लाख टावर ही हैं. इस अंतर का सीधा असर नेटवर्क क्वालिटी और सब्सक्राइबर ग्रोथ पर पड़ता है.
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अब तक कितनी फंडिंग जुटाई
फरवरी 2024 से अब तक वोडाफोन आइडिया ने इक्विटी के जरिए करीब ₹22,000 करोड़ जुटाए हैं. इसके अलावा कंपनी ने हाल ही में नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर (NCD) के जरिए ₹3,300 करोड़ की फंडिंग भी की है.
AGR से जुड़ी सरकारी राहत के बाद एंबिट कैपिटल को उम्मीद है कि बैंकों से लोन मिलना आसान होगा, क्योंकि कंपनी का लॉन्ग टर्म कर्ज अब इन्वेस्टमेंट ग्रेड माना जा रहा है.
आगे भी फंडिंग की जरूरत
ब्रोकरेज का अनुमान है कि वोडाफोन आइडिया FY28 में देय ₹17,400 करोड़ के डिफर्ड स्पेक्ट्रम पेमेंट का भुगतान अपने दम पर नहीं कर पाएगी. ऐसे में नेटवर्क विस्तार और कैपेक्स जरूरतों को पूरा करने के लिए कंपनी को आगे भी इक्विटी या कर्ज के जरिए फंड जुटाना पड़ सकता है.
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