पटना। सहायक व्याख्याता नियुक्ति सूची से मंत्री अशोक चौधरी का नाम हटाए जाने के विवाद ने राजनीतिक तूल पकड़ लिया है। इस मुद्दे पर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को पत्र लिखकर आपत्ति दर्ज कराई है और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। आरजेडी प्रवक्ता प्रो. नवल किशोर यादव के पत्र में कहा गया है कि मीडिया में आई रिपोर्टों ने कई गंभीर प्रश्न खड़े किए है जिनका जवाब मिलना आवश्यक है।

प्रारंभिक सूची में नाम

पत्र के अनुसार प्रारंभिक परिणाम में चौधरी का नाम शामिल था जिस पर मंत्री पद के साथ शैक्षणिक चयन को लेकर बहस हुई थी। अब सूची से नाम हटाए जाने पर आरजेडी ने पूछा है कि प्रारंभिक परिणाम किस आधार पर जारी हुए और इसे बाद में क्यों बदला गया।

फर्जीवा पर कार्रवाई की मांग

आरजेडी ने चयन प्रक्रिया में संभावित अनियमितताओं और फर्जी प्रमाण-पत्र के आरोपों की गहन जांच की मांग की है। पार्टी का कहना है कि यदि गड़बड़ी पाई जाती है तो संबंधित विभाग और आयोग की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। राज्यपाल को उच्च शिक्षा के कुलाधिपति होने के नाते मामले में हस्तक्षेप की अपेक्षा की गई है।

नाम के अंतर से नियुक्ति अटकी

शिक्षा मंत्री सुनील सिंह ने कहा कि अशोक चौधरी की फाइल में कमियां मिली है जिसके कारण नियुक्ति रुकी है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार दस्तावेजों में उनका नाम अशोक कुमार जबकि हलफनामे में अशोक चौधरी दर्ज है – इसे देरी की संभावित वजह बताया जा रहा है।

राजनीतिक प्रतिक्रिया और चयन प्रक्रिया पर प्रश्न

बताया गया कि 2020 में निकाली गई वैकेंसी का परिणाम 2025 में जारी हुआ, जिसमें चौधरी भी सफल अभ्यर्थियों में शामिल थे। विपक्ष नेता तेजस्वी यादव और कांग्रेस ने भी चयन प्रक्रिया तथा डिग्री को लेकर सवाल उठाए थे। वहीं अशोक चौधरी ने इंटरव्यू में कहा था कि उन्होंने नियमों के अनुसार आवेदन किया है और प्रक्रिया का परिणाम आने का इंतज़ार कर रहे है।