शब्बीर अहमद, भोपाल/ हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर में दूषित पानी से हुई मौतों पर सियासत तेज हो गई है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भागीरथपुरा थाने का घेराव कर दिया।
इंदौर में दूषित पानी पीने से हुई मौतों और सैकड़ों नागरिकों के बीमार होने की गंभीर घटना को लेकर आज उमंग सिंघार ने मुख्यमंत्री को औपचारिक पत्र लिखकर तत्काल कार्यवाही की मांग की है। उन्होंने कहा कि भागीरथपुरा में गंदे पानी की सप्लाई से हालात लगातार बिगड़ रहे हैं। यह प्रशासनिक लापरवाही का मामला है, जिसकी तत्काल निष्पक्ष जांच, दोषी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई, पीड़ितों को समुचित इलाज और मुआवजा सुनिश्चित किया जाना चाहिए। जनता की सेहत से कोई समझौता स्वीकार्य नहीं है। सरकार को सिर्फ घोषणा नहीं, जमीनी कार्रवाई करनी होगी।

दोषियों पर FIR की मांग को लेकर बाणगंगा थाने पहुंचे कार्यकर्ता
इस घटना को लेकर कांग्रेस ने सीधे तौर पर बीजेपी, सरकार और नगर निगम प्रशासन पर हमला बोलते हुए संबंधित थाने का घेराव किया। कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इसे प्रशासनिक हत्या करार देते हुए जिम्मेदार अफसरों और जनप्रतिनिधियों पर हत्या का केस दर्ज करने की मांग की। थाने के बाहर प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस नेताओं ने कहा कि इंदौर नगर निगम बीजेपी के कब्जे में है और उसी की लापरवाही ने 8 परिवारों के घर उजाड़ दिए। कांग्रेस का आरोप है कि जब लोगों ने दूषित पानी की शिकायतें कीं, तब भी प्रशासन ने आंखें मूंदे रखीं और पानी की सप्लाई बंद नहीं की गई। कांग्रेस नेताओं ने सवाल उठाया कि अगर यही घटना किसी आम नागरिक की वजह से होती, तो अब तक गिरफ्तारी हो चुकी होती, लेकिन यहां सत्ता से जुड़े लोग और अधिकारी होने के कारण कार्रवाई से बचाए जा रहे हैं।
प्रदर्शनकारियों ने बताया दोहरा कानून
प्रदर्शनकारियों ने इसे दोहरा कानून बताते हुए कहा कि बीजेपी सरकार अपने ही सिस्टम को बचाने में लगी है। घेराव के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और कहा कि यह सिर्फ पानी की नहीं, बल्कि संवेदनहीन शासन की कहानी है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि स्वच्छता के नाम पर प्रचार करने वाली सरकार बुनियादी सुविधा, पीने के पानी की सुरक्षा नहीं कर पा रही है। कांग्रेस का कहना है कि 8 मौतों के बावजूद अब तक किसी बड़े अधिकारी या जनप्रतिनिधि पर आपराधिक मामला दर्ज नहीं होना साफ तौर पर सत्ता का दुरुपयोग है।
कांग्रेस ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द हत्या का मामला दर्ज नहीं किया गया और दोषियों की गिरफ्तारी नहीं हुई, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। इस पूरे मामले ने इंदौर की राजनीति को गरमा दिया है। एक तरफ बीजेपी सरकार प्रशासनिक जांच की बात कर रही है, वहीं कांग्रेस इसे न्याय बनाम सत्ता की लड़ाई बताकर सड़क पर उतर आई है। अब सवाल यह है कि 8 मौतों के बाद भी क्या जिम्मेदारों पर कानून का शिकंजा कसेगा या मामला फाइलों में ही दबकर रह जाएगा।
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