रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य को केंद्रीय नीति के चलते बड़ा नुकसान हो रहा है. एक ओर जहाँ क्लिंकर बाहर भेजे जाने से सालाना साढ़े 3 सौ करोड़ का नुकसान हो रहा है, तो दूसरी ओर से जीएसटी से भी 3 हजार करोड़ का नुकसान छत्तीसगढ़ को हुआ है. यह कहना राज्य सरकार का. विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए उद्योग मंत्री कवासी लखमा और वाणिज्यकर मंत्री टीएस सिंहदेव ने यह बातें कही है.
दरअसल सदन में आज भाजपा विधायक सौरभ सिंह ने प्रदेश से बाहर भेजे जा रहे क्लिंकर और इससे साला हो रहे करोड़ों के नुकसान का मामला उठाया है. इस मामले में जवाब देते हुए उद्योग मंत्री कवासी लखमा ने कहा कि केंद्र की नीति के तहत ही क्लिंकर बाहर भेजा जाता है. इस पर केंद्र सरकार का नियंत्रण है. पिछले 15 सालों से ये क्लिंकर पश्चिम बंगाल और झारखंड जा रहा है. तीन वित्तीय वर्ष में 17 लाख 22 हजार टन क्लिंकर बाहर भेजा गया है.
मंत्री के जवाब के बाद सौरभ सिंह ने फिर पूछा कि माइनिंग लीज के दौरान क्या ये प्रावधान था? कवासी लखमा ने कहा कि केंद्र की नीति के हिसाब से काम हो रहा है.
वहीं वाणिज्यिक मंत्री(जीएसटी) टी एस सिंहदेव ने कहा कि जीएसटी पॉइंट ऑफ कंजप्शन पर होता है, पॉइंट ऑफ प्रोडक्शन पर नहीं होता. हम जब विपक्ष में थे तब यही सवाल उठाते थे कि जीएसटी से राज्य को बड़ा नुकसान होगा. जीएसटी इसे हमे 3 हजार करोड़ का नुकसान उठाना पड़ रहा है.
मंत्री के जवाब के बाद जेसीसी विधायक धर्मजीत सिंह ने पूछा कि छत्तीसगढ़ की खनिज सम्पदा को यदि बाहर भेजा जा रहा है, जिस पर राज्य को टैक्स नहीं मिल रहा है? तो क्या जीएसटी काउंसिल की बैठक में ये मुद्दा उठाएंगे?
इस सवाल का जवाब देने जब संसदीय कार्यमंत्री रविन्द्र चौबे जवाब के लिए खड़े हुए तो बीजेपी सदस्यों ने आपत्ति जताते हुए कहा कि सवाल उद्योग मंत्री से पूछा गया. आसंदी ने जीएसटी मंत्री को भी जवाब की अनुमति दी. क्या दो मंत्री जवाब देने में असफल हो गए इसलिए संसदीय कार्यमंत्री को जवाब देना पड़ रहा है ? विपक्षी सदस्यों ने इस पर सदन में जमकर नाराजगी जाहिर किया.
-विपक्ष के हंगामें को देखते हुए स्पीकर ने संसदीय कार्यमंत्री रविन्द्र चौबे से कहा कि अपने सदस्यों को नियंत्रित कीजिये. इसी बीच नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा, सदस्यों के सवाल के दौरान व्यवधान पहुचाना उचित नहीं. छत्तीसगढ़ से जुड़ा सवाल है और बृहस्पति सिंह उन सवालों में मोदी जी का नाम लेकर आते हैं.