रायपुर। आंगनवाड़ी केंद्रों में 3 से 6 वर्ष के बच्चों के लिए चलाए जा रहे शाला पूर्व अनौपचारिक शिक्षा (संस्कार अभियान) का असर दिखने लगा है। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा लगातार किए जा रहे प्रयासों से आंगनबाड़ी केंद्र अब प्ले स्कूल का रूप लेने लगे हैं। बच्चों के शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और भाषायी विकास के लिए प्रतिदिन 4 से 5 घंटे अलग-अलग खेल, बालगीत, कहानियों के साथ-साथ चित्रकारी, मिट्टी के खिलौने बनाना, रोज मर्रा की अनुपयोगी चीजों जैसे अखबार, गत्ते आदि से बेस्ट ऑउट ऑफ वेस्ट की तर्ज पर खिलौने तैयार करना सिखाया जा रहा है। बच्चों की रुचि अब रचनात्मक और कलात्मक गतिविधयों के प्रति बढ़ने लगी है। जिससे आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चो की उपस्थिति में बढ़ोत्तरी हो रही है। आंगनवाड़ी केंद्र में आए इस बदलाव से अब पालकों और बच्चों का केंद्रों के जुड़ाव बढ़ रहा है। साथ ही बाल सुलभ वातावरण में बच्चों का भरपूर विकास हो रहा है।
सभी पर्यवेक्षको एव आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को दिया जा रहा है प्रशिक्षण
दुर्ग ग्रामीण बाल विकास परियोजना अधिकारी अजय कुमार साहू ने बताया कि परियोजना के सभी 221 आंगनवाड़ी केंद्रों में बदलाव लाने के लिए जून 2019 में पर्यवेक्षको और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को विशेष प्रशिक्षण दिया गया। जिसमें विशेषज्ञों द्वारा बच्चों के बहुमुखी विकास को प्रेरित करने के गुर सिखाए गए। इस प्रशिक्षण में बच्चों के मनोविज्ञान को समझते हुए रूचिकर गतिविधियां और आसपास उपलब्ध चीजों से खेल समाग्री तैयार करने के साथ-साथ बहुत से दूसरे मनोवैज्ञानिक तरीके सिखाए गए, जो उनके शारीरिक और मानसिक विकास के लिए जरूरी हैं।
प्राईवेट स्कूल में गए बच्चे भी आंगनबाड़ी केन्द्र वापस आने लगे हैं
सिलोदा की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ललिता राजपूत बताती हैं कि हंसिका यादव और राचि निषाद नाम के दो बच्चे ग्राम सिलोदा के आंगनबाड़ी में नियमित रूप से आते थे। लेकिन अचानक जब बच्चे 15 दिनों तक आंगनबाड़ी केन्द्र नहीं आए तो उनको चिंता हुई। ललिता गृहभेंट के लिए र्गइं, तब उन्हें पता चला कि पालकों ने बच्चों को प्राइवेट प्ले स्कूल में भर्ती कर दिया गया है। बच्चों ने बताया कि वे प्राइवेट स्कूल में वे सहज महसूस नहीं कर रहे है। इसके बाद कार्यकर्ता ने बच्चों के माता-पिता को सुपोषण चौपाल में आमंत्रित किया। पालकों ने देखा कि आंगनबाड़ी में मिलने वाले नाश्ता, गरम भोजन, खेल की गतिविधियों से बच्चे बहुत खुश हैं। साथ ही अन्य पालकों ने भी बताया कि कार्यकर्ता द्वारा दी गई सीख का फायदा घरों में भी दिखता है। अब बच्चें अपनी चप्पलें यथास्थान पर रखने लगे हैं और खाने के पहले एवं शौच से आने के बाद चरणबद्ध तरीके से हांथ धोते हैं। इसके बाद दोनों बच्चों के पालकों ने अपने बच्चो को नियमित प्रतिदिन आंगनवाड़ी केंद्र भेजने का निर्णय लिया। बच्चे अब पुनः आंगनवाड़ी आकर बहुत ही खुश हैं और पालक भी संतुष्ट हैं।
सुपोषण चौपाल में पालकों ने देखा आंगनबाड़ी का नया अंदाज
आंगनबाड़ी केन्द्र सिलोदा में सुपोषण चौपाल का आयोजन कर पालकों को केन्द्र में होने वाली गतिविधियां दिखाई गई। सुपोषण चौपाल में बच्चों द्वारा बनाए चिपक काम, चित्रकारी और मिट्टी के खिलौनों का प्रदर्शन किया गया और बच्चों ने स्वयं भी ये सब बनाकर दिखाया। आंगनबाड़ी केन्द्र में बच्चों की घर जैसी देखभाल के साथ स्वच्छता और पौष्टिक खान-पान, स्वास्थ्य की देखभाल होते देखकर पालक बहुत ही प्रभावित हुए।