रायपुर. चर्चा जोरशोर से उठ रही है कि बीजेपी के कद्दावर नेता रहे दिलीप सिंह जूदेव के बेटे और बतौर विधायक दो पारी खेल चुके युद्धवीर सिंह जूदेव जल्द ही बीजेपी का दामन छोड़ सकते हैं. युद्धवीर के करीबी इस बात की तस्दीक करते हैं. फेसबुक में युध्दवीर ने लिखा है कि द्वंद कहां तक पाला जाएं, युध्द कहां तक टाला जाए. इससे भी उनकी पार्टी छोड़ने के कयास लगाए जा रहे हैं, हालांकि लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत में युद्धवीर सिंह जूदेव ने स्पष्ट तौर पर इसकी पुष्टि नहीं की, लेकिन अपनी नाराजगी जाहिर जरूर की है.

दरअसल, युद्धवीर सिंह की नाराजगी संगठन में मिल रही उपेक्षा को लेकर है. निकाय चुनाव में एक के बाद एक समर्थकों को टिकट से वंचित किये जाने को लेकर नाराजगी उफान पर आ गई. युद्धवीर सिंह जूदेव का कहना है कि संगठन के नेता उनके समर्थकों को निशाना बना रहे हैं. उन समर्थकों को टिकट से वंचित किया जा रहा है, जो दो-दो बार के पार्षद हैं. यदि साहस है तो व्यक्तिगत तौर पर सामना करना चाहिए. कमर के नीचे वार कायर करते हैं.

युद्धवीर सिंह जूदेव के करीब बताते हैं कि जांजगीर चाम्पा जिले में कृष्णकांत चंद्रा को अध्यक्ष बनने के बाद से दरारें और गहरा गईं. बताते हैं कि साल 2013 के चुनाव में कृष्णकांत चंद्रा ने पार्टी से बगावत कर चुनाव लड़ा था, जिसके बाद संगठन ने छह साल के लिए निष्कासित किया था, लेकिन आला नेताओं के संरक्षण मिलने की वजह से न केवल पार्टी में वापसी हुई बल्कि जिला अध्यक्ष बनाया गया.

तो क्या नई पार्टी बनायेंगे जूदेव?

युद्धवीर सिंह जूदेव के बीजेपी छोड़े जाने की अटकलों के बीच यह कयास भी लगाये जा रहे हैं क्या वह दूसरे राजनीतिक दल का हाथ थामेंगे या फिर खुद की नई क्षेत्रीय पार्टी बनाएंगे? हालांकि करीबी सूत्र दावा कर रहे हैं कि उन्हें राष्ट्रीय स्तर की पार्टी ने प्रस्ताव दे दिया है. हालांकि एक चर्चा इस बात को लेकर भी उठ रही है कि कट्टर हिंदुत्व के मुद्दे पर राजनीति करने वाले दिलीप सिंह जूदेव के बेटे युद्धवीर सिंह जूदेव एक बार फिर धर्मांतरण रोकने के अभियान में सक्रिय हो सकते हैं.