रायपुर- ब्यूरोक्रेट्स के निजी विदेश दौरों से जुड़ी जानकारी विधानसभा में सामने आने के बाद आज मंत्रालय में पूरे दिन यह चर्चा आम थी. लेकिन इस बीच ब्यूरोक्रेट्स के बड़े धड़े में इसे लेकर गहरी नाराजगी भी उभरी. दरअसल नाराजगी निजी दौरों की जानकारी के सार्वजनिक किये जाने और उन पर उठाये जाने वाले सवालों को लेकर थी. ब्यूरोक्रेट्स के एक प्रभावशाली धड़े का मानना है कि इससे एक गलत संदेश पैदा किये जाने की कोशिश की जा रही है, जबकि ये निजी दौरे सरकार के नियमों की अनुमति से किये गए.
बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह के अतारांकित सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के दिए लिखित जवाब में ब्यूरोक्रेट्स के निजी विदेश दौरों की जानकारी दी गई थी. मंत्रालय में पदस्थ सचिव स्तरीय एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर लल्लूराम डॉट कॉम से कहा कि-
ब्यूरोक्रेट्स के निजी विदेश दौरे पहली बार नहीं हो रहे हैं. प्रशासनिक व्यवस्थाओं के तहत ब्यूरोक्रेट्स को अपने विदेश दौरे की जानकारी सरकार को देनी होती है. बाकायदा सरकार से अनुमति की जाती है. इसे राजनीतिक एजेंडा बनाये जाने की जरूरत नहीं है. ऐसा लगता है कि किसी खास मकसद से ऐसे विषयों को सामने लाने की कोशिश की जा रही है.
इधर पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान भी ऐसे दिलचस्प किस्से सामने आते रहे है. एक चर्चा है कि एक दफे दौरे पर लंदन गए तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह को अचानक तब के एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी मिल गए. उस अधिकारी ने निजी प्रवास पर लंदन जाने की किसी तरह की अनुमति सरकार से नहीं ली थी. इसके बाद भी समय-समय पर ऐसे कई मामले सामने आते रहे, जहां अधिकारियों के बगैर अनुमति निजी विदेश दौरे फूटते रहे, लेकिन हर बार शासन की ओर से नोटिस देकर छोड़ दिया जाता रहा.
मंत्रियों के दौरों की भी खूब हुई चर्चा
पिछली सरकार में मंत्री रहे कई चेहरे ऐसे थे, जिनको विदेश से गहरा लगाव रहा है. मुम्बई जाने के बहाने कई ऐसे बड़े खिलाड़ी थे, जो पड़ोसी देश का दौरा गुपचुप तरीके से कर आते थे. हालांकि इन दौरों की ना तो किसी तरह की अनुमति ली जाती थी और ना ही ये दौरे कभी सार्वजनिक किये गए. लेकिन दबी जुबान से अक्सर ये चर्चाओं में सुने जाते रहे.