रायपुर। महान योगी, दार्शनिक और क्रांतिकारी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी योगी अरविंद घोष की आज पुण्यतिथि है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उन्हें नमन करते हुए अपने संदेश में कहा कि युवा कांत्रिकारी के रूप में उन्होंने ब्रिटिश सरकार के अन्याय की जमकर आलोचना की. अपने भाषणों और लेखनी के माध्यम से उन्होंने विदेशी सामानों के बहिष्कार और स्वदेशी को अपनाने का संदेश लोगों तक पहुंचाया, बाद में श्री अरविंद योगी हो गए. उनके दर्शन का पूरे विश्व में गहरा प्रभाव रहा.
बता दें कि अरविन्द घोष एक महान योगी एवं दार्शनिक थे। क्रांतिकारी महर्षि अरविन्द का जन्म 15 अगस्त 1872 को कोलकाता (बंगाल की धरती) में हुआ था. उन्हें गुजराती, मराठी, बंगला और संस्कृत आदि भाषाओं का ज्ञान था. साल 1908 से 1909 तक अंग्रेज सरकार ने अरविन्द को बन्दी बना कर अलीपुर जेल में रखा. जेल में रहकर उन्होंने ध्यान, धारणा और योगाभ्यास को समय दिया. उन्होंने भारतीय दर्शन और वेदों का अध्ययन भी किया जिसके बाद वे योगी बन गए. श्री अरविंद पत्रकार भी थे. उन्होंने अपने समाचार पत्र के माध्यम से तत्कालीन जनमानस को स्वाधीनता संग्राम के लिए तैयार करने में प्रमुख भूमिका निभाई थी.