रायपुर। छ्त्तीसगढ़ अनुसूचित जनजाति शासकीय सेवक विकास संघ, अजाक्स, अजा-अजजा वर्ग के अखिल भारतीय परिसंघ ने प्रमोशन में आरक्षण पर हाईकोर्ट के स्टे लगाए जाने पर महाधिवक्ता कार्यालय पर आरोप मढ़ा है. संगठनों ने प्रकरण में जिम्मेदार व्यक्तियों पर कार्रवाई की मांग करने की बात कही है.
राज्य सरकार के प्रमोशन में आरक्षण के फैसले पर हाईकोर्ट ने स्टे लगा दिया है. हाईकोर्ट के फैसले के बाद आगे की रणनीति के लिए छ्त्तीसगढ़ अनुसूचित जनजाति शासकीय सेवक विकास संघ, अजाक्स, अजा-अजजा वर्ग के अखिल भारतीय परिसंघ के पदाधिकारियों की बैठक हुई है. इसमें प्रकरण पर हाईकोर्ट में महाधिवक्ता कार्यालय द्वारा सही ढंग से पक्ष नहीं रखे जाने पर आक्रोश व्यक्त किया गया, साथ ही हाईकोर्ट में शासन की इस हार के लिये जिम्मेदार व्यक्तियों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए मुख्यमंत्री, मंत्री व विधायकों से बात रखने का निर्णय लिया.
सरकार ने दिया था ये आदेश
मालूम हो कि हाल ही में राज्य शासन ने छत्तीसगढ़ लोक सेवा (पदोन्नति) नियम में संशोधन की अधिसूचना और पदोन्नति में आरक्षण के लिए रोस्टर जारी किया था. अधिसूचना के मुताबिक पदोन्नति में अब अनुसूचित जाति के शासकीय सेवकों को 13 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति के शासकीय सेवकों को 32 प्रतिशत आरक्षण देने की बात कही गई थी. लेकिन इसके खिलाफ लगाई गई याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने स्थगन दिया है.
सुुप्रीम कोर्ट का निर्णय है, केंद्र को चिट्ठी लिखी गई है- महाधिवक्ता
इधर कर्मचारी संगठनों की नाराजगी के बाद महाधिवक्ता कार्यालय ने यह स्पष्ट किया है कि यह मसला सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिका हुआ है. दरअसल साल 2008 में सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय लिया था, तब की सरकार की ओर से इस मामले में किसी तरह का प्रयास नहीं किया गया. अब छत्तीसगढ़ सरकार ने इस मामले पर केंद्र को भी चिठ्ठी लिखी है.