रायपुर। शहरी आबादी को बेहतर और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने मेडिकल कॉलेजों की मदद ली जाएगी. मेडिकल कॉलेजों के प्राध्यापकों की विशेषज्ञता का लाभ शहरी स्वास्थ्य केन्द्रों के जरिए अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाया जाएगा. लोगों को अच्छी सेहत, बीमारियों और सही जीवन शैली के प्रति जागरूक करने तथा स्वास्थ्य मानकों में सुधार लाने के लिए मेडिकल कॉलेज शहरी स्वास्थ्य केन्द्रों के साथ मिलकर काम करेंगे. इसकी रणनीति बनाने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा रायपुर में 11 और 12 दिसम्बर को दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में छत्तीसगढ़ के सभी छह शासकीय मेडिकल कॉलेजों और दो निजी चिकित्सा महाविद्यालयों के प्राध्यापकों ने हिस्सा लिया.
कार्यशाला में राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के कार्यों और सामुदायिक स्वास्थ्य की बेहतरी में मेडिकल कॉलेजों की भूमिका पर मंथन किया गया. कार्यशाला के दूसरे दिन आज मेडिकल कॉलेजों के प्राध्यापकों ने दो दिनों की चर्चा के बाद मातृत्व स्वास्थ्य, शिशु स्वास्थ्य, गैर-संचारी रोग और संक्रामक रोग के प्रभावी निदान के लिए अपने सुझाव दिए. उन्होंने शहरी स्वास्थ्य केंद्रों के सुदृढ़ीकरण, मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के उपाय भी बताए.
कार्यशाला के पहले दिन अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली के डॉ. पुनीत मिश्रा, महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, वर्धा के डॉ. बी.एस. गर्ग और सीएमसी वेल्लोर के डॉ. शांति दानी मिंज ने सामुदायिक चिकित्सा शिक्षा मॉडल पर प्रस्तुति दी और अपने संस्थानों द्वारा इस पर किए जा रहे कार्यों व उनके प्रभावों के बारे में विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेजों का स्थानीय अस्पतालों के साथ जुड़कर कार्य करना समुदाय के लिए हितकारी तो है ही, यह चिकित्सा छात्र-छात्राओं के लिए भी अभ्यास और अनुसंधान का नया अवसर है.