रायपुर। राज्यपाल के सचिव सोनमणि बोरा ने कहा है कि हार्टफुलनेस मेडिटेशन की तकनीक बहुत आसान है जिसे हर जगह किया जा सकता है और इससे सकारात्मक सोच विकसित होती है। उन्होंने कहा कि इससे केवल तनाव ही दूर नहीं होता है बल्कि अपने आप को समझने और परमात्मा से जुड़ने का एक माध्यम है। बोरा गुरुवार को राजभवन के दरबार हॉल में राजभवन के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए आयोजित तीन दिवसीय हार्टफुलनेस मेडिटेशन कार्यक्रम के समापन अवसर पर बोल रहे थे।
बोरा ने कहा कि सदियों से ऋषि मुनियों ने इस तकनीक को अपना कर बहुत सारे लौकिक एवं अलौकिक कार्य किये। उन्होंने कहा कि मेडिटेशन से शारीरिक स्वस्थता को बनाये रखने के साथ ही गुणवत्ता पूर्ण जीवन जीने का मार्ग प्रशस्त होता है। उन्होंने कहा कि इससे किसी कार्य को आनंद के साथ करने से संतुष्टि की भावना पैदा होगी। शारीरिक स्वस्थता के साथ ही मन में सकारात्कम सोच भी विकसित होता है। बोरा ने कहा कि जीवन के कई ऐसे प्रश्न जिनका उत्तर नहीं मिलता है उन प्रश्नों का उत्तर भी मेडिटेशन के दौरान प्राप्त हो जाता है।
सीआरपीएफ के डीआईजी संजीव दत्ता ने अपने अनुभव सांझा करते हुए कहा कि हार्टफुलनेस मेडिटेशन कराने से सीआरपीएफ के जवानों के कार्य, व्यवहार एव स्वभाव में व्यापक बदलाव हुए हैं। उन्होंने कहा कि मेडिटेशन करने से मन एवं हृदय में संतुलन बनने लगता है और मन को एक सही दिशा मिलती है। इससे मानसिक तनाव तो कम होता ही है काम के प्रति सजगता भी बढ़ती है। उन्होंने कहा कि तनावग्रस्त क्षेत्र में पदस्थ सीआरपीएफ के जवानों को हार्टफुलनेस मेडिटेशन कराया जाता है जिससे उनमें अपने वरिष्ठ अधिकारियों का सम्मान करने सहित तनाव की कमी भी महसूस किया गया है। ये जवान अपने ड्यूटी अच्छी तरह से करते हैं और कई जवान तो आवश्यकता पड़ने पर अपने साथी जवान की ड्यूटी करने के लिए भी तैयार हो जाते हैं।
आज हार्टफुलनेस मेडिटेशन के तीसरे दिन रामचंद्र मिशन के सचिव दिनेश अग्रवाल एवं श्रीमती रश्मि अग्रवाल ने प्रार्थना एवं ध्यान कराया। इस मौके पर राज्यपाल के विधिक सलाहकार एन.के. चन्द्रवंशी और राजभवन के सभी अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।