रायपुर। आज से पौषमास की शुरूआत हो चुकी है. आज 13 दिसंबर को पौष कृष्ण पक्ष की उदया तिथि प्रतिपदा और शुक्रवार का दिन है. सनातन विक्रम संवत के अनुसार पौष वर्ष का दसवां महीना होता है. भारतीय महीनों के नाम नक्षत्रों पर आधारित हैं. जिस महीने की पूर्णिमा को चंद्रमा जिस नक्षत्र में रहता है उस महीने का नाम उसी नक्षत्र के नाम पर रखा गया है. पौष का पूरा महीना ही धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. 16 दिसंबर से खरमास प्रारंभ हो जाएगा जो 15 जनवरी 2019 की रात 2:40 तक रहेगा. इस महीने में भगवान सूर्य को अर्घ्य देने और उपवास रखने का विशेष महत्व होता है. आइए जानते हैं इस माह आपको कौन से बड़े वरदान प्राप्त हो सकते हैं.
सूर्यदेव की कृपा से ही पृथ्वी पर जीवन बरकरार है. ऋषि-मुनियों ने उदय होते हुए सूर्य को ज्ञान रूपी ईश्वर बताते हुए सूर्य की साधना-आराधना को अत्यंत कल्याणकारी बताया है. प्रत्यक्ष देवता सूर्य की उपासना शीघ्र ही फल देने वाली मानी गई है. जिनकी साधना स्वयं प्रभु भगवान श्रीराम ने भी की थी. पुराणों के प्रभु श्रीराम के पूर्वज भी सूर्यवंशी थे. भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र सांब भी सूर्य की उपासना करके ही कुष्ठ रोग दूर कर पाए थे.
सूर्य की इस विधि से करें साधना
सनातन परंपरा में प्रत्यक्ष देवता सूर्य की साधना-उपासना शीघ्र ही फल देने वाली मानी गई है। सूर्यदेव की पूजा के लिए सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें. इसके पश्चात् उगते हुए सूर्य का दर्शन करते हुए उन्हें ॐ घृणि सूर्याय नम: कहते हुए जल अर्पित करें. सूर्य को दिए जाने वाले जल में लाल रोली, लाल फूल मिलाकर जल दें. सूर्य को अर्घ्य देने के पश्चात्प लाल आसन में बैठकर पूर्व दिशा में मुख करके सूर्य के मंत्र का कम से कम 108 बार जप करें.
खरमास में सूर्य की उपासना से होता है मंगल
खरमास की अवधि में जनेऊ संस्कार , मुंडन संस्कार , नव गृह प्रवेश, विवाह आदि नहीं होता. इसे शुभ नहीं माना जाता. क्योंकि विवाह आदि शुभ संस्कारों में गुरु एवं शुक्र की उपस्थिति आवश्यक बताई गई है. ये सुख और और समृद्धि के कारण होतें हैं. लेकिन खरमास में इनका विलोप हो जाता है. खरमास में धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं. किंतु मंगल शहनाई नहीं बजती. इस माह में सभी राशि वालों को सूर्य देव की उपासना जरुर करनी चाहिए. सूर्य की उपासना मंगलकारी होता है.