दुर्ग। पोस्ट ऑफिस से बुक कराए गए स्पीड पोस्ट आर्टिकल के परिवहन के दौरान गुम हो जाने को उपभोक्ता के प्रति सेवा में निम्नता मानते हुए जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष लवकेश प्रताप सिंह बघेल, सदस्य राजेन्द्र पाध्ये और लता चंद्राकर ने मुख्य डाकपाल राजनांदगांव, स्पीड पोस्ट प्रभारी रायपुर एवं प्रवर अधीक्षक डाक विभाग सिविक सेंटर भिलाई के खिलाफ आदेश पारित किया, जिसके तहत विभाग के उक्त अधिकारियों पर 3,152 रुपये हर्जाना लगाया गया है।
क्या है मामला
भारतीय डाक विभाग के अधिकारियों के खिलाफ राजनांदगांव निवासी लूणकरण सिंघवी द्वारा जिला उपभोक्ता फोरम में परिवाद दायर किया गया था। जिसके अनुसार परिवादी लूणकरण सिंघवी ने मुख्य डाकघर राजनांदगांव के माध्यम से दिनांक 31 अगस्त 2017 को मालेगांव महाराष्ट्र स्थित मुथा एंड कंपनी को स्पीड पोस्ट से केसर भेजा था जो कि अपने गंतव्य स्थल मालेगांव तक नहीं पहुंचा। पता करने पर परिवादी को जानकारी दी गई कि उसके द्वारा भेजा गया आर्टिकल ट्रेस नहीं हो पा रहा है, इसके बाद आर्टिकल गुम होने की सूचना दी गई।
अनावेदक का जवाब
अनावेदक डाक विभाग की ओर से प्रकरण में उपस्थित होकर यह कहा गया कि विभागीय जांच में पता चला कि उक्त पार्सल अपने भेजे गए पते पर प्राप्त नहीं हुआ था और परिवहन के दौरान कहीं गुम हो गया था। कोई भी पार्सल गुम होने पर विभागीय नियमानुसार क्षतिपूर्ति प्रदान की जाती है। अनावेदकगण ने जानबूझकर स्पीड पोस्ट आर्टिकल को नहीं गुमाया है वह परिवहन के दौरान कहीं गुम हुआ है इसलिए किसी प्रकार की क्षतिपूर्ति देने हेतु डाक विभाग बाध्य नहीं है।
फोरम का फैसला
प्रकरण पर विचारण पश्चात जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष लवकेश प्रताप सिंह बघेल, सदस्य राजेन्द्र पाध्ये और लता चंद्राकर ने पाया कि अनावेदकगण शुल्क लेकर डाक सेवा प्रदान करने वाली संस्था है जब कोई भी व्यक्ति डाक विभाग द्वारा अपनी डाक भिजवाता है तो इस विश्वास के साथ भिजवाता है कि समय पर गंतव्य स्थान पर डाक पहुंचेगा और इसीलिए यह विभाग बना भी है यदि डाक गंतव्य स्थान पर नहीं पहुंचती है तो यह स्पष्ट रूप से सेवा में निम्नता है। परिवादी द्वारा स्पीड पोस्ट आर्टिकल बुक करवाया जाना तो प्रमाणित हुआ परंतु प्रकरण में परिवादी यह प्रमाणित नहीं कर सका कि उसके द्वारा भेजी गई स्पीड पोस्ट आर्टिकल में केसर नामक वस्तु थी, इस कारण जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष लवकेश प्रताप सिंह बघेल, सदस्य राजेन्द्र पाध्ये और लता चंद्राकर ने उसे डाक गुमने पर नियमानुसार दी जाने वाली क्षति राशि 142 रुपये पाने का हकदार माना साथ ही उसके द्वारा प्रेषित डाक के गुम होने से पहुंची मानसिक वेदना की क्षतिपूर्ति स्वरुप 2000 रुपये एवं वाद व्यय के लिए 1000 रुपये सहित कुल 3142 रुपये हर्जाना अनावेदकगण पर लगाया।