रायपुर।  हिन्दू पंचांग के अनुसार 16 दिसंबर से खरमास की शरूआत हो चुकी है जो अगले वर्ष 14 जनवरी 2020 तक रहेगा. खरमास के दौरान मांगलिक कार्य जैसे विवाह, सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश एवं जनेऊ संस्कार आदि नहीं किए जाते हैं. दरअसल धार्मिक रूप से ये समय अपवित्र होता है. इसलिए इस समय मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। खर मास को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है. कहा जाता है कि इस समय कुछ भी मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए.

खरमास में क्यों नहीं होते हैं शुभ कार्य 

खरमास में सूर्य धनु राशि में प्रवेश करता है और मकर संक्रांति तक इसी स्थिति में रहता है। मान्यता है कि सूर्य जब धनु राशि में होता है तो इस दौरान मांगलिक कार्य शुभ नहीं होते हैं। इस अवधि में सूर्य मलीन (अशुभ) हो जाता है। मलीन सूर्य के कारण इसे मलमास भी कहते हैं।

खलमास में भूलकर भी न करें ये काम…

  •  इस महीने गेहूं, चावल, सफेद धान, मूंग, जो, तिल, कटहल, आम, सौंठ, जीरा, आंवला, सुपारी सेंधा नमक नहीं खाना चाहिए।
  • इस समय किसी से विवाद नहीं करना चाहिए. किसी देवता, गुरु, गाय, स्त्री की निंदा नहीं करनी चाहिए.
  •  पुरुषोत्तम मास जमीन पर सोना, पत्तल में खाना और शाम को एक समय भोजन करना चाहिए.
  •  पुरुषोत्तम मास केवल अपने लिए ही पकाया हुआ अन्न दूषित माना गया है.

मास में क्या करें?

  •  खरमास के प्रतिनिधि आराध्य देव भगवान विष्णु हैं.  इसलिए इस माह के दौरान भगवान विष्णु की पूजा नियमित रूप से करना चाहिए।
  • इस मास में पड़ने वालीएकादशी तिथि को उपवास कर भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा कर उन्हें तुलसी के पत्तों के साथ भोग लगाने से समस्त सुखों की प्राप्ति होती है।
  • इस मास में प्रतिदिनब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत होकर भगवान विष्णु का केसर युक्त दूध से अभिषेक करें व भगवान विष्णु के मंत्र “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:” का तुलसी की माला से एक माला जाप करें।
  • धार्मिक स्थलों पर स्नान-दानआदि करने का भी महत्व माना जाता है.
  • पीपल के वृक्ष में भगवान विष्णु का वास माना जाता है, इस दौरानपीपल के वृक्ष में नियमित जल और कच्चा दूध अर्पित करने से धन-सुख, वैभव की प्राप्ति होती है.