रायपुर। छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय पुरुष नसबंदी पखवाड़ा के दौरान एक हजार 809 पुरुषों ने नसबंदी कराई। इस दौरान गांवों में ‘’मोर मितान मोर संगवारी’’ चौपाल का आयोजन कर लोगों को नसबंदी के लिए प्रेरित किया गया। ग्रामीणों के बीच समूह चर्चा के माध्यम से पुरुष नसबंदी के प्रति फैली भ्रांतियों और मिथकों को दूर किया गया। लोगों को नसबंदी के बारे में जागरुक करने पूर्व में नसबंदी करा चुके पुरुष भी आगे आए। उन्होंने अपने अनुभव साझा कर बताया कि नसबंदी से किसी प्रकार की कोई कमजोरी नहीं आती है। हम पहले की ही तरह एकदम सामान्य जीवन जी सकते हैं।
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा प्रजनन स्वास्थ्य में सुधार और परिवार नियोजन में पुरुषों की भागीदारी बढ़ाने 21 नवम्बर से 4 दिसम्बर के बीच प्रदेशव्यापी राष्ट्रीय पुरुष नसबंदी पखवाड़ा मनाया गया। “पुरुषों की अब है बारी, परिवार नियोजन में भागीदारी” की थीम पर नसबंदी पखवाड़ा दो चरणों में आयोजित किया गया। मोबिलाइजेशन सप्ताह के रुप में पहला चरण 21 से 27 नवम्बर तक तथा दूसरा चरण सेवा वितरण सप्ताह के रुप में 28 से 4 दिसम्बर तक मनाया गया।
मोबिलाइजेशन सप्ताह में जनसंख्या स्थिरीकरण में पुरुषों की भागीदारी बढ़ाने एवं राज्य में एनएसवीटी कार्यक्रम को सुचारू ढंग से संचालित करने नसबंदी के लिए पुरुषों को जागरूक किया गया। ‘’मोर मितान मोर संगवारी’’ की थीम पर गांवों में आयोजित गोष्ठियों में पुरुषों को नसबंदी के लिए प्रेरित किया गया। इसके लिए ऐसे गांवों का चयन किया गया जहां दो या दो से अधिक बच्चों वाले दम्पति ज्यादा थे। समूह चर्चा के माध्यम से उन्हें छोटे परिवार के फायदों के बारे में बताया गया।
राष्ट्रीय पुरुष नसबंदी पखवाड़ा में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, मितानीनों, एएनएम और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने पुरुषों को परिवार नियोजन के लिए उपलब्ध विभिन्न साधनों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एनएसवी कराने में मात्र दस मिनट का समय लगता है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा नसबंदी कराने वालों को दो हजार रुपए और उत्प्रेरकों को 300 रुपए दिए जाते हैं। नसबंदी पखवाड़ा के दौरान आरएचओ, एएनएम और मितानीनों द्वारा योग्य दम्पतियों का सर्वे कर पुरुष गर्भनिरोधक साधनों के उपयोग के लिए संवेदीकरण, चिन्हांकन एवं पंजीकरण किया गया।