रायपुर। बड़े दिन के नाम से मशहूर क्रिसमस का त्योहार 25 दिसंबर को मनाया जाता है. इस दिन घरों और घरों के बाहर एक से बढ़कर एक सजावट दिखेगी. सैंटा क्लॉज़ की ड्रेस पहने लोग दिखेंगे. घरों में एक-दूसरे को केक खिलाया जाएगा, तोहफे दिए जाएंगे. क्रिसमस डे से पहले 24 दिसंबर को लोग ईस्टर ईव मनाते हैं. ऐसा माना जाता है कि इस दिन ईसा मसीह का जन्म हुआ था. उन्हें ईश्वर का पुत्र कहा जाता है. जीसस इस धरती पर लोगों को जीवन की शिक्षा देने के लिए आए थे.
क्रिसमस डे के दिन सैंटा क्लॉज़ का बच्चे बड़ी बेसब्री से इंतजार करते हैं. दरअसल सैंटा क्लॉज क्रिसमस के दिन बच्चों के लिए कई सारे गिफ्ट लेकर आता है.सैंटा क्लॉज, क्रिसमस ट्री, केक और जिंगल बेल का गीत इस त्योहार की अनूठी पहचान हैं. इस दिन चर्च में प्रार्थना सभाएं होती हैं इससे ठीक सातवें दिन नया साल 2020 (New Year 2020) शुरू हो जाएगा. यहां जानिए क्रिसमस ट्री से लेकर मोज़े में गिफ्ट देने के चलन से जुड़ी कुछ बेहद ही खास बातें.
क्रिसमस क्यों मनाया जाता है?
क्रिसमस जीसस क्रिस्ट के जन्म की खुशी में मनाया जाता है. जीसस क्रिस्ट को भगवान का बेटा कहा जाता है. क्रिसमस का नाम भी क्रिस्ट से पड़ा. जीसस क्रिस्ट को भगवान का बेटा कहा जाता है.
क्रिसमस ट्री का महत्व
क्रिसमस डे का त्योहार क्रिसमस ट्री के बिना अधूरा है. ऐसा माना जाता है कि क्रिसमस ट्री इसलिए बनाया जाता है जिससे साल भर क्रिसमस ट्री की तरह आपके जीवन में भी जगमगाहट रहे. दिसंबर के पहले सप्ताह से ही क्रिसमस पेड़ को सजाना शुरू कर देते हैं. यह नये साल तक सजा रहता है. इसमें रंगीन ब्लब, सांता का गिफ्ट, चाकलेट आदि लगाये जाते हैं। क्रिसमस का पेड़ आशीर्वाद का प्रतीक है. दरवाजे पर क्रिसमस पेड़ लगाने की परंपरा ईसाई धर्म के लोग क्रिसमस ट्री अपने दरवाजे पर लगाते हैं. यह पेड़ नये साल के शुरुआत तक रहती है। इसे पूरा सजाया जाता है. क्रिसमस ट्री से खुशियां आती हैं, इसलिए इस घर में लगाया जाता है. क्रिसमस ट्री जनवरी के पहले सप्ताह तक ही रहता है. इसके बाद इसे हटा दिया जाता है.