नई दिल्ली। कारगिल युद्ध में दुश्रमों के छक्के छुड़ाने वाला भारतीय वायुसेना का सिरमौर MiG-27 लड़ाकू विमान ने शुक्रवार को अपनी अंतिम उड़ान भरी. तीन दशक तक वायु सेना की रीढ़ की हड्डी रहे MiG-27 के सात लड़ाकू विमानों के स्क्वाड्रन को जोधपुर एयर बेस में विदाई दी गई.

रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी बयान में बताया गया कि इस विमान का अपग्रेडेड वर्जन वर्ष 2006 से भारतीय वायु सेना का गौरव रहा है. इसके पहले ही MiG-23 BN, MiG-23 MF और खालिस MiG-27 वायुसेना के बेड़े से विदा ले चुके हैं. कारगिल युद्ध के दौरान इस विमान ने दुश्मन के ठिकानों पर राकेट और बम से सटिक प्रहार कर उन्हें ध्वस्त कर दिया था. ऑपरेशन पराक्रम में भी विमान की सक्रिय भागीदारी थी.

भारतीय वायुसेना की 29 नंबर स्क्वाड्रन MiG-27 के अपग्रेड को उड़ाने वाला इकलौता स्क्वाड्रन है. इस स्क्वाड्रन का गठन हलवारा एयरफोर्स स्टेशन में ओरेगन (तूफानी) एयरफ्राफ्ट 10 मार्च 1958 को किया गया था. समय के साथ स्क्वाड्रन को MiG-21 टाइप 77, MiG-21 टाइप 96, MiG-27 ML और MiG-27 अपग्रेड से लैस किया गया.

अब स्क्वाड्रन ने अपनी अंतिम उड़ान 27 दिसंबर को भरी. इसके बाद 31 मार्च से स्क्वाड्रन के नंबर प्लेट का काम शुरू हो जाएगा. स्क्वाड्रन के डि-इंडक्शन की इस प्रक्रिया के दौरान जोधपुर एयरबेस में तरह-तरह कार्यक्रम किए जाएंगे.