सत्यपाल राजपूत, रायपुर. पांच वर्ष से कम आयुवर्ग के बच्चों में अति कुपोषण की चुनौती का मुकाबला करने के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित किया गया है. राज्य स्तर पर बनाया गया यह सेंटर केंद्र से लेकर ब्लॉक स्तर तक कुपोषण संबंधी योजनाओं को बनाने इन्हें कार्यान्वित करने और निगरानी का कार्य करेगा. प्रदेश में अति कुपोषण की समस्या से निपटने के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. उम्मीद की जा रही है कि प्रदेश के अति कुपोषित लगभग 2.5 लाख बच्चों को सरकारी योजनाओं का प्रभावकारी लाभ मिल सकेगा. इसके अंतर्गत छह राज्य मेडिकल कालेजों और 79 पोषण पुनर्वास केंद्रों का नेटवर्क बनाया जाएगा.
निदेशक नितिन नागरकर ने बताया कि अति कुपोषण की समस्या के लिए बनाया गया सेंटर ऑफ एक्सीलेंस एम्स के बाल रोग विभाग के अंतर्गत कार्य करेगा. उन्होंने कहा कि प्रदेश में किए गए कई सरकारी और यूनीसेफ के अध्ययन में अति कुपोषण की समस्या को गंभीर माना गया था. पांच वर्ष से कम आयुवर्ग के प्रदेश के 8.4 प्रतिशत बच्चे अति कुपोषण की श्रेणी में आते हैं. अति कुपोषण बच्चों में मृत्युदर का एक प्रमुख कारण भी बना हुआ है. इसके लिए सरकारी योजनाएं तो हैं मगर इनके कार्यान्वयन और निगरानी में समन्वय नहीं होने के कारण चुनौती कम नहीं हो रही है. एम्स का सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इसी कमी को दूर करने का कार्य करेगा.
बाल रोग विभागाध्यक्ष डॉ अनिल गोयल ने बताया कि सेंटर केंद्रीय स्तर पर उपलब्ध संसाधनों से लेकर राज्य स्तर तक की स्वास्थ्य सेवाओं के मध्य समन्वय का कार्य करेगा. अति कुपोषित बच्चों की पहचान कर इन्हें पोषण पुनर्वास केंद्रों तक पहुंचाने, गंभीर मामलों को राज्य के मेडिकल कालेजों में रेफर करने और इनमें से कुछ सबसे गंभीर केसों को एम्स स्थित सेंटर में इलाज के लिए लाने का कार्य किया जाएगा. इसके लिए प्रोटोकॉल निर्धारित किया जा रहा है. कोशिश है कि बेहतर समन्वय से प्रदेश में अति कुपोषण की समस्या को कम करके दीर्घ अवधि में समाप्त कर दिया जाए. इससे संबंधित डेटा एकत्रित करने और इस समस्या पर अनुसंधान का कार्य भी सेंटर करेगा.
अति कुपोषण की समस्या से निपटने के लिए बनाए गए इस एक्शन प्लान के मुताबिक रायपुर स्थित पं. जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कालेज में लगभग दस बिस्तर की अति कुपोषित बच्चों की ट्रीटमेंट यूनिट स्थापित की जाएगी. बाद में इसी प्रकार की यूनिट प्रदेश के अन्य मेडिकल कालेजों के बाल रोग विभाग में भी स्थापित की जाएगी. गंभीर मसलों का एम्स में स्थापित की जाने वाले सीवियर एक्यूट मालन्यूट्रीशन रेफ्रल एंड एंडवांस ट्रीटमेंट यूनिट में इलाज किया जाएगा. इसके लिए बाल रोग विभाग में दस बिस्तर की क्षमता की यूनिट स्थापित कर दी गई है.
इस पूरी प्रक्रिया में प्रदेश के 28 जिलों में फैले 79 पोषण पुनर्वास केंद्रों और छह मेडिकल कालेजों का महत्वपूर्ण योगदान होगा. इनके नेटवर्क की मदद से अति कुपोषण का शिकार बच्चों की पहचान करने और इन्हें इलाज प्रदान करने का कार्य किया जाएगा. इस पूरी परियोजना में यूनीसेफ प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग भी सहभागी होगा. यह सेंटर दिल्ली के कलावती सरन बाल अस्पताल में अति कुपोषण की समस्या के लिए बने नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की निगरानी में कार्य करेगा.